डिपॉजिटरी क्या है? अर्थ, कार्य, भूमिका आदि

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आजकल शेयर बाजार में निवेश करना बहुत लोकप्रिय हो गया है। लेकिन शुरुआत करने से पहले, निवेशकों को कुछ महत्वपूर्ण शब्दों और प्रक्रियाओं को समझना जरूरी है। इनमें से एक शब्द है 'डिपॉजिटरी'। यह एक विशेष संगठन है जो आपके निवेश की सुरक्षा करता है और शेयरों को आसानी से खरीदने और बेचने की सुविधा देता है। चलिए इस शब्द और संबंधित जानकारी को सरल हिंदी में समझते हैं।
 

डिपॉजिटरी का परिचय

डिपॉजिटरी एक ऐसा संगठन है जो शेयर बाजार में खरीद-बिक्री करने वाले हर निवेशक के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह शेयरों और म्युचुअल फंड यूनिटों का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड रखता है। इस तरह आपको कागजी शेयर प्रमाणपत्रों की जरूरत नहीं पड़ती। ये प्रमाणपत्र खो सकते हैं या चोरी हो सकते हैं। लेकिन डिपॉजिटरी में इलेक्ट्रॉनिक रूप से शेयर सुरक्षित रहते हैं। इससे निवेश करना बहुत ही आसान, सुरक्षित और किफायती हो जाता है।
 

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सामग्री की तालिका

  1. डिपॉजिटरी का परिचय
  2. डिपॉजिटरी सिस्टम के फायदे
  3. डिपॉजिटरी सिस्टम कैसे काम करती है?
  4. डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट यानी DP क्या है?
  5. डिपॉजिटरी चार्ज क्या होता है और कितना खर्च आता है?
  6. डिपॉजिटरी की भूमिका और कार्य

डिपॉजिटरी सिस्टम के फायदे

डिपॉजिटरी सिस्टम शेयर बाजार में निवेश करने का एक बेहतरीन तरीका है। यह शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुरक्षित रखती है और लेनदेन को आसान बनाती है। इसके कई लाभ हैं जिन्हें समझना महत्वपूर्ण है।

सबसे बड़ा फायदा है सुरक्षा। डिमैट खाते में शेयरों के डिजिटल होने से उनके खोने या चोरी होने का कोई खतरा नहीं रहता। भौतिक शेयर प्रमाणपत्रों की तुलना में यह बहुत ज्यादा सुरक्षित है। 

दूसरा फायदा है आसानी और किफायत। शेयर खरीदना-बेचना बहुत आसान हो जाता है क्योंकि कागजी कामकाज कम होता है। साथ ही डिमैट खाता रखने का खर्च भी कम आता है।

आखिरी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण फायदा है कर्ज के लिए गिरवी रख सकना। निवेशक अपने डिमैट खाते में रखे शेयरों/प्रतिभूतियों को आसानी से बैंकों में गिरवी रख सकते हैं और कर्ज ले सकते हैं।

इस तरह डिपॉजिटरी सिस्टम ने शेयर बाजार में निवेश करना काफी आसान और सुविधाजनक बना दिया है। अगर आप भी इस दुनिया में कदम रखना चाहते हैं तो डिपॉजिटरी की मदद लेना बेहतर होगा।
 

डिपॉजिटरी सिस्टम कैसे काम करती है?

आइए डिपॉजिटरी सिस्टम के बारे में विस्तार से जानते हैं कि यह कैसे काम करती है। भारत में दो प्रमुख डिपॉजिटरी संस्थाएं हैं - नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेस लिमिटेड (CDSL)। ये दोनों संगठन देश भर में अपने 'डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट' (DP) के व्यापक नेटवर्क के जरिए काम करते हैं।
 

डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट यानी DP क्या है?

डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट या DP वो एजेंट होते हैं जो निवेशकों को डिमैट खाता खोलने और शेयर खरीद-बिक्री करने की सुविधा देते हैं। DP बैंक, ब्रोकरेज फर्म, या अन्य वित्तीय संस्थान हो सकते हैं।

निवेशक सबसे पहले किसी DP के पास जाकर डिमैट खाता खोलता है। खाता खोलने के बाद, जब भी वह शेयर खरीदता है तो DP उतने ही शेयरों की संख्या उसके डिमैट खाते में क्रेडिट कर देता है। इसी तरह शेयर बेचने पर DP उतने शेयरों की संख्या खाते से डेबिट कर देता है। यह सारा लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है और कहीं भी कोई भौतिक शेयर प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता है।

DP नियमित रूप से निवेशक को उसके डिमैट खाते का विवरण देता रहता है जिससे वह अपनी होल्डिंग्स और किए गए लेनदेन को ट्रैक कर सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में DP निवेशक और डिपॉजिटरी के बीच की कड़ी का काम करता है।
 

डिपॉजिटरी चार्ज क्या होता है और कितना खर्च आता है?

डिमैट खाता रखने और शेयर लेनदेन करने पर कुछ शुल्क देना पड़ता है, जिसे डिपॉजिटरी चार्ज कहा जाता है। ये चार्ज DP द्वारा लिए जाते हैं। DP को भी डिपॉजिटरी यानी NSDL या CDSL को कुछ शुल्क देना पड़ता है, जिसे वो फिर निवेशक से वसूल करता है।

आइए डिपॉजिटरी चार्ज के बारे में विस्तार से जानते हैं:

  • डिमैट खाता खोलने का चार्ज: जब आप डिमैट खाता खोलते हैं तो इसके लिए लगभग 300-500 रुपये प्रति वर्ष का शुल्क देना पड़ता है। कुछ DP इसे एक बार में लेते हैं तो कुछ सालाना शुल्क लेते हैं।
  • शेयर खरीद-बिक्री पर चार्ज: हर बार जब आप शेयर खरीदते या बेचते हैं, DP आपसे 20-50 रुपये प्रति लेनदेन का चार्ज लेता है। यह चार्ज लेनदेन की वैल्यू के हिसाब से भिन्न हो सकता है।
  • अन्य चार्ज: कुछ अन्य सेवाओं जैसे शेयर ट्रांसफर करना, फेलियर इन्सट्रक्शन देना आदि पर भी छोटे-मोटे चार्ज लगते हैं। लेकिन ये काफी कम होते हैं।

जैसा कि आप देख सकते हैं, डिमैट खाता रखने और लेनदेन करने का खर्च बहुत ही कम है। यह भौतिक शेयर प्रमाणपत्रों को रखने की तुलना में बहुत ही किफायती और सुविधाजनक है। कागजी प्रमाणपत्रों पर स्टाम्प ड्यूटी, लॉकर रेंट और अन्य ज्यादा खर्च आते थे।
 

डिपॉजिटरी की भूमिका और कार्य

डिपॉजिटरी शेयर बाजार में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर डिपॉजिटरी नहीं होता तो शेयरों को भौतिक रूप में ही रखना पड़ता और लेनदेन बहुत मुश्किल होते। लेकिन डिपॉजिटरी की मौजूदगी से पूरी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक और आसान हो गई है। डिपॉजिटरी के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:

  1. निवेशकों की शेयरों और म्युचुअल फंड यूनिटों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुरक्षित रखना।
  2. शेयरों की खरीद-बिक्री के लेनदेन को तेजी से निपटाना और सेटल करना।
  3. कंपनियों की विभिन्न कॉर्पोरेट गतिविधियों को संभालना जैसे लाभांश वितरण, बोनस शेयर जारी करना, मालिकाना हित में बदलाव ट्रैक करना आदि।  
  4. निवेशकों के लिए उनके शेयरों/प्रतिभूतियों को आसानी से कर्ज के लिए गिरवी रखने की सुविधा देना।
  5. शेयर खरीद-बिक्री की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और धोखाधडी से बचाना। निवेशक अपने डिमैट खाते का विवरण ऑनलाइन देख सकते हैं, इससे पारदर्शिता बढ़ती है।
     

समाप्ति

डिपॉजिटरी सिस्टम ने शेयर बाजार में निवेश करना बेहद आसान और सुरक्षित बना दिया है। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शेयरों को रखने और लेनदेन करने से धोखाधड़ी के जोखिम कम हो गए हैं। निवेशकों को अब भौतिक शेयर प्रमाणपत्रों की चिंता नहीं करनी पड़ती और वे आसानी से अपने शेयरों को ट्रैक कर सकते हैं।

डिपॉजिटरी सिस्टम के साथ ही, अब ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा भी निवेशकों को मिल गई है। वे अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर ही बैठकर शेयर खरीद-बिक्री कर सकते हैं। BlinkX जैसे ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर आप मिनटों में ही डिमैट खाता खोल सकते हैं। यह एक विश्वसनीय प्लेटफॉर्म है जहां छिपे हुए किसी भी तरह के चार्ज नहीं हैं।

BlinkX के साथ, आप निफ्टी50, बैंक निफ्टी, सेंसेक्स और बीएसई की कीमत गतिविधियों, आय रिपोर्टों और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में अनुकूलित अलर्ट प्राप्त कर सकते हैं। इससे आप बाजार की जानकारी से हमेशा अपडेट रहेंगे। आप BlinkX ट्रेडिंग ऐप और वेब संस्करण के बीच आसानी से स्विच कर सकते हैं।

अगर आप नए ट्रेडर  हैं तो BlinkX पर स्टॉक चार्ट्स और अन्य कंसेप्ट्स को समझने, प्रैक्टिस करने और रियल ट्रेडिंग शुरू करने से पहले आत्मविश्वास बनाने की सुविधा मिलती है। आप अपने डैशबोर्ड को भी पसंद के अनुसार कस्टमाइज़ कर सकते हैं जिससे आपकी ऑनलाइन ट्रेडिंग की यात्रा और भी रोमांचक हो जाएगी।

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डिपॉजिटरी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) के नेटवर्क के जरिये निवेशक डिमैट खाता खोलते हैं और शेयर ट्रेड करते हैं। सब इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है।

NSDL और CDSL दो प्रमुख डिपॉजिट्रीज हैं जो भारत में शेयरों के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड रखती हैं।

DP द्वारा लिए जाने वाले शुल्क जैसे खाता खोलना, लेनदेन आदि पर लगने वाले चार्ज को डिपॉजिटरी चार्ज कहा जाता है।

डिपॉजिटरी का मुख्य काम निवेशकों के शेयरों को सुरक्षित रखना और लेनदेन को आसान बनाना है।

निवेशक अपने डिमैट खाते की डिटेल ऑनलाइन देख सकते हैं जिससे पारदर्शिता बढ़ती है।