ट्रेडिंग वॉल्यूम समझने की आसान गाइड

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अगर आप शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं या करना चाहते हैं, तो ट्रेडिंग वॉल्यूम की जानकारी आपके लिए बहुत काम की साबित हो सकती है आइए समझते हैं कि ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है, यह क्यों महत्वपूर्ण है, और इसे कैसे पढ़ा और समझा जा सकता है। इस ब्लॉग में हम सरल हिंदी में इस जटिल विषय को समझाने की कोशिश करेंगे, ताकि एक 10 साल का बच्चा भी इसे आसानी से समझ सके।

ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है?

सबसे पहले, आइए समझें कि ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है, जब हम किसी दुकान पर जाते हैं, तो हम देखते हैं कि कुछ सामान ज्यादा बिकता है और कुछ कम। ठीक उसी तरह, शेयर मार्केट में भी कुछ शेयर ज्यादा खरीदे-बेचे जाते हैं और कुछ कम। यह खरीद-बिक्री की मात्रा को  ट्रेडिंग वॉल्यूम कहा जाता है । 

सरल शब्दों में कहें तो, ट्रेडिंग वॉल्यूम एक निश्चित समय में किसी शेयर के खरीदे और बेचे गए शेयरों की कुल संख्या होती है। यह आमतौर पर एक दिन में मापा जाता है, इसे घंटों या मिनटों में भी देखा जा सकता है।

उदाहरण के लिए, अगर कंपनी XYZ के 10,000 शेयर एक दिन में खरीदे-बेचे गए, तो उस दिन का ट्रेडिंग वॉल्यूम 10,000 होगा।

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सामग्री की तालिका

  1. ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है?
  2. ट्रेडिंग वॉल्यूम क्यों महत्वपूर्ण है? 
  3. ट्रेडिंग वॉल्यूम कैसे पढ़ें और समझें? 

ट्रेडिंग वॉल्यूम क्यों महत्वपूर्ण है? 

अब सवाल यह उठता है कि यह जानकारी हमारे लिए क्यों जरूरी है? ट्रेडिंग वॉल्यूम कई तरह से निवेशकों और ट्रेडर्स की मदद करता है: 

  1. मार्केट सेंटीमेंट समझना: जैसे किसी फिल्म के लिए थिएटर में भीड़ देखकर उसकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है, वैसे ही ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी शेयर में ज्यादा रुचि दिखाता है। 
  2. कीमत में बदलाव की पुष्टि: अगर किसी शेयर की कीमत बढ़ रही है और साथ में वॉल्यूम भी बढ़ रहा है, तो यह एक मजबूत संकेत है कि कीमत में यह बढ़ोतरी टिकाऊ हो सकती है। 
  3. लिक्विडिटी का अंदाजा: जिन शेयरों का ट्रेडिंग वॉल्यूम ज्यादा होता है, उन्हें आसानी से खरीदा या बेचा जा सकता है।
  4. तकनीकी विश्लेषण में मदद: कई तकनीकी इंडिकेटर्स वॉल्यूम का इस्तेमाल करके मार्केट ट्रेंड्स की भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं।

ट्रेडिंग वॉल्यूम कैसे पढ़ें और समझें? 

अब आइए जानें कि ट्रेडिंग वॉल्यूम को कैसे पढ़ा और समझा जा सकता है। यहां कुछ आसान तरीके हैं:

1. औसत दैनिक ट्रेडिंग वॉल्यूम (Average Daily Trading Volume ADTV)

ADTV एक बहुत ही उपयोगी मीट्रिक है। यह आपको बताता है कि औसतन एक दिन में किसी शेयर के कितने शेयर खरीदे-बेचे जाते हैं। इसे समझने के लिए, आइए एक उदाहरण लें: 

मान लीजिए, पिछले 30 दिनों में कंपनी ABC के शेयरों का ट्रेडिंग वॉल्यूम इस प्रकार रहा: 

दिन 1: 10,000 शेयर

दिन 2: 12,000 शेयर

दिन 3: 8,000 शेयर

दिन 30: 11,000 शेयर 

ADTV की गणना के लिए, हम इन सभी दिनों के वॉल्यूम को जोड़ेंगे और फिर 30 से विभाजित करेंगे। 

मान लीजिए कुल जोड़ 300,000 आया। 

ADTV = 300,000 / 30 = 10,000 शेयर 

इसका मतलब है कि औसतन, हर दिन कंपनी ABC के 10,000 शेयर खरीदे-बेचे जाते हैं।

2. वर्तमान वॉल्यूम की तुलना ADTV से

जब आप किसी शेयर का वर्तमान ट्रेडिंग वॉल्यूम देखते हैं, तो उसे ADTV से तुलना करके आप कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं: 

a) अगर वर्तमान वॉल्यूम ADTV से काफी ज्यादा है:

यह दिखाता है कि शेयर में असामान्य गतिविधि हो रही है।
कोई महत्वपूर्ण खबर या घटना हो सकती है जो इस बढ़े हुए वॉल्यूम का कारण बन रही है।
यह एक बड़े मूल्य परिवर्तन का संकेत हो सकता है। 

b) अगर वर्तमान वॉल्यूम ADTV के करीब है:

यह दिखाता है कि शेयर में सामान्य गतिविधि हो रही है।

c) अगर वर्तमान वॉल्यूम ADTV से काफी कम है:

यह कम रुचि या कम गतिविधि का संकेत हो सकता है।
छुट्टियों या विशेष दिनों पर ऐसा देखा जा सकता है।

3. वॉल्यूम और कीमत का संबंध

वॉल्यूम और कीमत एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनके संबंध को समझना बहुत महत्वपूर्ण है: 

a) कीमत बढ़ रही है और वॉल्यूम भी बढ़ रहा है:

यह एक मजबूत अपट्रेंड का संकेत है।
ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर खरीद रहे हैं, जो कीमत को और ऊपर ले जा सकता है। 

b) कीमत घट रही है और वॉल्यूम बढ़ रहा है:

यह एक मजबूत डाउनट्रेंड का संकेत है।
ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बेच रहे हैं, जो कीमत को और नीचे ले जा सकता है।

c) कीमत बढ़ रही है लेकिन वॉल्यूम घट रहा है:

यह अपट्रेंड के कमजोर होने का संकेत हो सकता है।
कीमत बढ़ रही है, लेकिन कम लोग खरीद रहे हैं, जो यह दिखाता है कि यह ट्रेंड ज्यादा दिन नहीं चल सकता।

d) कीमत घट रही है लेकिन वॉल्यूम भी घट रहा है:

यह डाउनट्रेंड के कमजोर होने का संकेत हो सकता है।
कीमत गिर रही है, लेकिन कम लोग बेच रहे हैं, जो यह दिखाता है कि गिरावट धीमी हो सकती है।

4. वॉल्यूम प्रोफाइल

वॉल्यूम प्रोफाइल एक एडवांस्ड टूल है जो दिखाता है कि किस कीमत पर कितना वॉल्यूम ट्रेड हुआ है। यह एक तरह का हॉरिजॉन्टल हिस्टोग्राम होता है जो प्राइस चार्ट के साथ दिखाया जाता है। 

इसे समझने के लिए, कल्पना कीजिए कि आप एक इमारत के सामने खड़े हैं। हर मंजिल पर रहने वाले लोगों की संख्या, उस कीमत पर हुए ट्रेड्स की संख्या को दर्शाती है। जहां सबसे ज्यादा लोग रहते हैं (यानी सबसे चौड़ी मंजिल), वह "पॉइंट ऑफ कंट्रोल" कहलाता है।

वॉल्यूम प्रोफाइल से आप समझ सकते हैं:

  • किस कीमत पर सबसे ज्यादा ट्रेडिंग हुई है।
  • कौन सी कीमतें महत्वपूर्ण सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल बन सकती हैं।
  • कहां से कीमत में बड़ा मूवमेंट हो सकता है।

5. इंट्राडे वॉल्यूम एनालिसिस

अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं, तो दिन के दौरान वॉल्यूम पैटर्न को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। आमतौर पर, एक ट्रेडिंग दिन में वॉल्यूम का पैटर्न कुछ इस तरह होता है: 

  • मार्केट खुलने के पहले घंटे में हाई वॉल्यूम (लगभग 20-25% दिन का कुल वॉल्यूम)
  • दोपहर के समय कम वॉल्यूम
  • मार्केट बंद होने के आखिरी घंटे में फिर से हाई वॉल्यूम (लगभग 20-25% दिन का कुल वॉल्यूम)

इस पैटर्न को समझकर, आप बेहतर ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं। उदाहरण के लिए: 

शुरुआती घंटों में हाई वॉल्यूम के साथ कीमत में बड़ा बदलाव, पूरे दिन के ट्रेंड का संकेत दे सकता है।

दोपहर के कम वॉल्यूम के दौरान कीमत में बड़े बदलाव को शक की नजर से देखा जा सकता है।

आखिरी घंटे में हाई वॉल्यूम, अगले दिन के ओपनिंग ट्रेंड का संकेत दे सकता है।

समाप्ति
ट्रेडिंग वॉल्यूम एक शक्तिशाली टूल है जो आपको मार्केट की गहराई में जाने में मदद कर सकता है। यह न सिर्फ कीमतों में होने वाले बदलावों की पुष्टि करता है, बल्कि आने वाले बड़े मूवमेंट्स का संकेत भी दे सकता है। लेकिन याद रखें, वॉल्यूम एनालिसिस को हमेशा अन्य तकनीकी और फंडामेंटल एनालिसिस के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप शेयर मार्केट में अपना सफर शुरू करना चाहते हैं, तो BlinkX ऐप डाउनलोड करने पर विचार कर सकते हैं। यह एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है जहां आप मिनटों में डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। BlinkX आपको एक ऐसा ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जो मार्केट में आपका साथी बनकर आपकी प्राथमिकताओं को समझता है और आपके निवेश को सफलता की ओर ले जाने में मदद करता है। इसकी तेज ऑर्डर प्लेसमेंट क्षमता आपके वित्तीय लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मददगार साबित होगी। वॉल्यूम एनालिसिस एक मूल्यवान कौशल है, लेकिन यह सिर्फ पूरी तस्वीर का एक हिस्सा है। सफल निवेश के लिए संतुलित दृष्टिकोण और निरंतर सीखने की प्रक्रिया जरूरी है।

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ट्रेडिंग वॉल्यूम से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हाई वॉल्यूम हमेशा अच्छा नहीं होता। यह शेयर में बड़ी गतिविधि का संकेत है, लेकिन यह गतिविधि पॉजिटिव या नेगेटिव दोनों हो सकती है। इसलिए हमेशा वॉल्यूम को प्राइस एक्शन के साथ देखना चाहिए।

लो वॉल्यूम का मतलब जरूरी नहीं कि शेयर में निवेश न किया जाए। कुछ अच्छे शेयर कम वॉल्यूम वाले हो सकते हैं। हालांकि, कम वॉल्यूम वाले शेयरों में लिक्विडिटी की समस्या हो सकती है, इसलिए सावधानी बरतें।

इंट्राडे ट्रेडिंग में वॉल्यूम एनालिसिस बहुत उपयोगी होता है। यह आपको बता सकता है कि कब मार्केट में बड़ी गतिविधि हो रही है, कौन से प्राइस लेवल्स महत्वपूर्ण हैं, और कब ट्रेंड मजबूत या कमजोर हो रहा है।

हां, वॉल्यूम एनालिसिस लॉन्ग-टर्म निवेश में भी मददगार हो सकता है। यह आपको बड़े मार्केट ट्रेंड्स, सेक्टर रोटेशन, और इंस्टीट्यूशनल एक्टिविटी के बारे में जानकारी दे सकता है।

सिर्फ वॉल्यूम एनालिसिस के आधार पर ट्रेडिंग करना सही नहीं होगा। वॉल्यूम एनालिसिस को हमेशा अन्य तकनीकी और फंडामेंटल एनालिसिस के साथ इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आप एक संतुलित निर्णय ले सकें।