इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?

इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?

डीमैट खाता खोलें

जारी रखने के लिए अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें

*साइन अप करके आप हमारी बात से सहमत होते हैं नियम और शर्तें
alert logo

इंट्राडे ट्रेडिंग, जिसे डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक ही दिन में शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। इसका मकसद बाज़ार में होने वाले छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव का फायदा उठाना होता है। मार्जिन ट्रेडिंग से मुनाफा तो बढ़ सकता है, लेकिन इसमें बड़े नुकसान का खतरा भी रहता है। सफल इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए SEBI के नियमों, मार्जिन कॉल्स और मार्जिन रूल्स की अच्छी जानकारी होना जरूरी है। इस लेख में हम समझेंगे कि कैसे उधार ली गई रकम का इस्तेमाल करके इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन बनाया जाता है, जिससे खरीदने की क्षमता और संभावित कमाई बढ़ जाती है।

मार्जिन क्या होता है?

इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन का मतलब होता है ब्रोकर द्वारा ट्रेडर को दिया गया एक तरह का लोन, जिसका इस्तेमाल ऑर्डर लगाने के लिए किया जाता है।  

मान लीजिए आपके पास शेयर खरीदने के लिए 5000 रुपये हैं। आप ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट खोलकर डे ट्रेडिंग शुरू करने का फैसला लेते हैं। थोड़ी मार्केट रिसर्च करने के बाद आपको पता चलता है कि XYZ लिमिटेड के शेयरों की कीमत आज बढ़ने वाली है।  

आपके पास 5,000 रुपये हैं, तो आप उतने के शेयर खरीद सकते हैं और फिर ज्यादा कीमत पर बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। मान लीजिए XYZ लिमिटेड का एक शेयर अभी 100 रुपये का है। तो 5000 रुपये में आप 50 शेयर खरीद पाएंगे। अगर दिन में शेयर का भाव बढ़कर 105 रुपये हो जाता है, तो आप शेयर बेचकर 250 रुपये का फायदा कमा लेंगे। 

लेकिन अगर आपके पास ज्यादा पैसे होते, तो आप और ज्यादा कमाई कर सकते थे। क्योंकि आपको पूरा यकीन था कि XYZ लिमिटेड के शेयरों की कीमत बढ़ेगी। इसलिए स्टॉक ब्रोकर्स ट्रेडर्स को मार्जिन की सुविधा देते हैं, ताकि वे अपने पास मौजूद कैश से ज्यादा खरीद सकें। अलग-अलग शेयरों के लिए अलग-अलग मार्जिन दिए जाते हैं।

Enjoy No Brokerage* on Intraday Trading

* By signing up you agree to our Terms and Conditions

सामग्री की तालिका

  1. मार्जिन क्या होता है?
  2. 5x मार्जिन क्या होता है और ई-मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?
  3. SEBI द्वारा तय किए गए मार्जिन नियम 
  4. मार्जिन ट्रेडिंग से जुड़े जरूरी शब्द
  5. डे ट्रेडिंग मार्जिन कॉल्स क्या होती हैं?
  6. इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग के फायदे
  7. इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव 

5x मार्जिन क्या होता है और ई-मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?

इंट्राडे ट्रेडिंग में 5x मार्जिन का मतलब है कि ट्रेडर्स अपने शुरुआती निवेश से पांच गुना ज्यादा की पोजीशन कंट्रोल कर सकते हैं। इससे मुनाफे या नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। 

ई-मार्जिन ट्रेडिंग एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो निवेशकों को मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा देता है। इससे उन्हें ज्यादा लीवरेज मिलता है और वे सिक्योरिटीज में ज्यादा कुशलता से ट्रेड कर सकते हैं। 

SEBI द्वारा तय किए गए मार्जिन नियम 

SEBI ने हाल ही में इंट्राडे मार्जिन के नियमों में बदलाव किया है। पहले मार्जिन की जरूरत ट्रेडिंग के दिन के बाद कैलकुलेट की जाती थी। लेकिन अब ट्रेडर्स को हर नए इंट्राडे ट्रांजैक्शन की शुरुआत में ही मार्जिन की जरूरतें पूरी करनी होती हैं। इसके अलावा 2020 में कैश मार्केट ट्रेडिंग के लिए मार्जिन की जरूरत कम कर दी गई है।  

उदाहरण के लिए, इंट्राडे ट्रेडर्स को मार्जिन सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए अपने कुल ट्रांजैक्शन वॉल्यूम का करीब 20% अपने ब्रोकर के पास जमा करना होता है। ट्रेडर्स किसी भी मौजूदा सिक्योरिटीज को कोलैटरल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।

मार्जिन ट्रेडिंग से जुड़े जरूरी शब्द

यहां कुछ जरूरी शब्द दिए गए हैं जो आपको मार्जिन ट्रेडिंग में हमेशा याद रखने चाहिए: 

  • मार्जिन कॉल: जब ट्रेडर के अकाउंट में जरूरी मार्जिन मेंटेनेंस राशि से कम पैसे रह जाते हैं, तो ब्रोकर एक नोटिफिकेशन जारी करता है। इसमें अतिरिक्त फंड जमा करने या पोजीशन को लिक्विडेट करने की जरूरत होती है। 
  • मार्जिन रिक्वायरमेंट्स: मार्जिन सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए ट्रेडर्स को अपने ब्रोकर के पास जमा करने के लिए जरूरी राशि, जो आमतौर पर कुल ट्रांजैक्शन वॉल्यूम का एक प्रतिशत होती है। 
  • सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT): यह एक टैक्स है जो ब्रोकर्स स्टॉक मार्केट में सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री पर अपने आप काट लेते हैं। 
  • कैपिटल गेन्स टैक्स: सिक्योरिटीज की बिक्री पर लगने वाला टैक्स जो शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म होल्डिंग्स के हिसाब से लगाया जाता है।
  • डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT): पहले यह टैक्स डिविडेंड बांटने वाली कंपनियों पर लगता था, लेकिन अब इसे व्यक्तियों द्वारा चुकाया जाता है।

डे ट्रेडिंग मार्जिन कॉल्स क्या होती हैं?

भारत में अब इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग के लिए डे ट्रेडिंग मार्जिन कॉल्स और ऑनलाइन डे ट्रेडिंग मेंटेनेंस अमाउंट जरूरी हो गए हैं। अगर आप दिन में मार्जिन पर ट्रेड करते हैं, तो आपके अकाउंट में मार्जिन बनाए रखने के लिए एक खास राशि होनी चाहिए। 

अगर उसी दिन डे ट्रेडिंग के दौरान मार्जिन मेंटेन नहीं किया जाता है तो मार्जिन कॉल जारी की जाएगी। इस मार्जिन कॉल को पूरा करने और अपने डे ट्रेडिंग अकाउंट को इंट्राडे मार्जिन मेंटेनेंस राशि तक वापस लाने के लिए आपको या तो अपने अकाउंट में और पैसे जमा करने होंगे या फिर पोजीशन को कैंसिल करना होगा।

जब किसी वजह से कोई इंट्राडे डील खराब हो जाती है, तो मार्जिन कॉल की वजह से खर्च बढ़ सकते हैं। डे ट्रेडिंग में मार्जिन को बेहतर तरीके से समझने के लिए यह उदाहरण देखें। मान लीजिए एक ट्रेडर के पास मार्जिन मेंटेनेंस के लिए जरूरी राशि से 40,000 रुपये ज्यादा है। 

अगर वे 5x मार्जिन (5 x 40,000) पर ट्रेड करते हैं, तो उन्हें डे ट्रेडिंग में 2,00,000 रुपये की खरीदारी करने की ताकत मिलेगी। अब मान लीजिए कि वही ट्रेडर सुबह 9:45 बजे ABC कंपनी के 1,80,000 रुपये के शेयर खरीदता है। 15 मिनट बाद, यानी 10 बजे, वही ट्रेडर उसी दिन 1,60,000 रुपये के XYZ शेयर खरीदता है।  

इस केस में ट्रेडर ने अपनी अधिकतम खरीदारी की ताकत से ज्यादा खर्च कर दिया। चाहे वह दोपहर के सेशन में अपने दोनों स्टॉक होल्डिंग्स को बेचने के लिए तैयार हो, फिर भी ट्रेडर को अगले ट्रेडिंग दिन एक डे ट्रेडिंग मार्जिन कॉल मिलेगी।

इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग के फायदे

डे ट्रेडिंग ऑनलाइन के लगभग बहुत तरह के फायदे होते है, जैसे की: 

  1. अगर आपका स्टॉक ब्रोकर मानता है, तो आप अपने डीमैट अकाउंट में मौजूद शेयरों को मार्जिन कोलैटरल के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको अतिरिक्त पैसे जमा करने की जरूरत नहीं पड़ती। 
  2. इंट्राडे मार्जिन से आप उतनी ही पूंजी से ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं। इससे आपकी पूंजी की खरीदने की ताकत बढ़ जाती है। 
  3. इंट्राडे मार्जिन सुविधा का इस्तेमाल करके आप अपने रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (ROI) को बेहतर और ज्यादा कर सकते हैं। 
  4. मार्जिन ट्रेडिंग से आप बाज़ार के छोटे-छोटे मूवमेंट का भी फायदा उठा सकते हैं, जो सामान्य ट्रेडिंग में मुमकिन नहीं होता।

इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव 

  • शुरुआत में कम मार्जिन से ट्रेडिंग करें। जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़े, धीरे-धीरे मार्जिन बढ़ाएं।
  • हमेशा स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाएं। इससे आपका नुकसान सीमित रहेगा।
  • एक दिन में अपनी कुल पूंजी का 2-3% से ज्यादा रिस्क न लें।
  • मार्केट के ट्रेंड और तकनीकी विश्लेषण का इस्तेमाल करके ही ट्रेड करें।
  • अपने इमोशंस पर कंट्रोल रखें। लालच या डर में आकर फैसले न लें।
  • रोजाना का टारगेट और मैक्सिमम लॉस तय करें और उसका पालन करें।
  • मार्केट के समाचार और इवेंट्स पर नजर रखें। इससे आपको बेहतर ट्रेडिंग मौके मिलेंगे।

समाप्ति
मार्जिन ट्रेडर्स को ज्यादा खरीदने की ताकत देता है, लेकिन डे ट्रेडिंग के लिए इसका इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए ताकि ट्रेडर्स को बड़े नुकसान न हों। मार्जिन अकाउंट के लिए तय की गई सीमाओं के भीतर अपनी गतिविधियों को सीमित रखने से मार्जिन कॉल्स और उसके बाद अतिरिक्त पैसों की जरूरत को कम किया जा सकता है। अगर आप पहली बार ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप का इस्तेमाल करके डे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो मार्जिन अकाउंट के साथ प्रयोग करने से बचें।
अगर आप इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं, तो BlinkX ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करने पर विचार कर सकते हैं। यह एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है जिस पर आप मिनटों में डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। BlinkX ट्रेडिंग ऐप आपको मार्केट में सफलता की ओर ले जाने वाला एक विश्वसनीय साथी है। इसकी तेज ऑर्डर प्लेसमेंट क्षमताएं आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ने में मदद करेंगी। इसमें कोई छिपे हुए शुल्क नहीं हैं और आप कमाई रिपोर्ट, और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में व्यक्तिगत अलर्ट के साथ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप BlinkX ट्रेडिंग ऐप से वेब वर्जन तक आसानी से स्विच कर सकते हैं। 

Pay Zero Brokerage* on Intraday trades

*साइन अप करके आप हमारी बात से सहमत होते हैं नियम और शर्तें

इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मार्जिन सुविधा ब्रोकर द्वारा दिया गया एक प्रकार का लोन है जिसका इस्तेमाल ट्रेडर ऑर्डर प्लेस करने के लिए करते हैं। यह ट्रेडर्स को अपनी मौजूदा पूंजी से ज्यादा ट्रेड करने की क्षमता देता है।

इससे आपकी खरीदने की ताकत बढ़ती है, छोटे मार्केट मूवमेंट का फायदा उठा सकते हैं, और संभावित रिटर्न बढ़ा सकते हैं। साथ ही, डीमैट शेयरों को कोलैटरल के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

बड़े नुकसान का खतरा, ओवर-लीवरेजिंग की संभावना, मार्जिन कॉल्स, और भावनात्मक निर्णय लेने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, ज्यादा ब्रोकरेज और चार्जेज भी देने पड़ सकते हैं।

जब आपके अकाउंट में न्यूनतम मार्जिन राशि से कम पैसे रह जाते हैं, तो मार्जिन कॉल आती है। इस स्थिति में आपको या तो अतिरिक्त फंड जमा करने होंगे या फिर अपनी पोजीशन को कम करना होगा।

अपनी जोखिम लेने की क्षमता समझें, मार्केट की जानकारी रखें, एक मजबूत रणनीति बनाएं, और हमेशा स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें। शुरुआत में कम मार्जिन से ट्रेडिंग करें और धीरे-धीरे अनुभव के साथ बढ़ाएं।