ऑप्शंस ट्रेडिंग Vs इंट्राडे ट्रेडिंग
- 30 Aug 2024
- By: BlinkX Research Team
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आज हम शेयर बाज़ार में पैसा कमाने के दो मशहूर तरीकों - ऑप्शंस ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग - पर चर्चा करेंगे। दोनों में ही अलग-अलग तरीकों से लाभ कमाया जा सकता है, लेकिन इनमें कुछ बुनियादी अंतर हैं। आइए समझते हैं कि ये दोनों कैसे काम करते हैं और किसके लिए कौन सा तरीका बेहतर हो सकता है।
ऑप्शंस ट्रेडिंग में आप भविष्य की कीमतों का अनुमान लगाकर कॉन्ट्रैक्ट्स खरीदते या बेचते हैं। वहीं इंट्राडे ट्रेडिंग में आप एक ही दिन में शेयर खरीदते और बेचते हैं। दोनों में पैसा कमाने का मौका है, लेकिन ऑप्शंस ट्रेडिंग में कॉन्ट्रैक्ट्स की गहरी समझ और ज्यादा जोखिम लेना पड़ता है। शुरुआती निवेशकों के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग शायद थोड़ी आसान हो सकती है।
ऑप्शंस ट्रेडिंग Vs इंट्राडे ट्रेडिंग: मुख्य अंतर
आइए अब इन दोनों तरीकों को विस्तार से समझते हैं।
विशेषताएं | ऑप्शंस ट्रेडिंग | इंट्राडे ट्रेडिंग |
अर्थ | ऑप्शंस ट्रेडिंग में आप अलग-अलग पोजीशन और एक्सपायरी डेट वाले कॉन्ट्रैक्ट्स खरीदते या बेचते हैं। इसमें मार्केट फैक्टर्स और ऑप्शंस ग्रीक्स का असर होता है। | इंट्राडे ट्रेडिंग में आप एक ही दिन में शेयर खरीदते और बेचते हैं। इसमें मार्केट फैक्टर्स और लीवरेज का इस्तेमाल होता है। |
पोजीशन | 4 तरह की पोजीशन ले सकते हैं | 2 तरह की पोजीशन ले सकते हैं |
ट्रेड टाइमिंग | मंथली और वीकली एक्सपायरी | एक ही दिन में खरीद-बिक्री |
कीमत प्रभावित करने वाले कारक | मार्केट फैक्टर्स और ऑप्शंस ग्रीक्स | सिर्फ मार्केट फैक्टर्स |
मार्जिन रिक्वायरमेंट (खरीदार) | खरीदार को सिर्फ प्रीमियम देना होता है | लीवरेज की मदद से कम पैसे में ज्यादा ट्रेड कर सकते हैं |
मार्जिन रिक्वायरमेंट (विक्रेता) | संभावित नुकसान को कवर करने के लिए राशि जमा करनी होती है | लीवरेज की मदद से कम पैसे में ज्यादा ट्रेड कर सकते हैं |
सामग्री की तालिका
- ऑप्शंस ट्रेडिंग Vs इंट्राडे ट्रेडिंग: मुख्य अंतर
- ऑप्शंस ट्रेडिंग के फायदे
- ऑप्शंस ट्रेडिंग के नुकसान
- इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे
- इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान
- कौन सा तरीका बेहतर है? ऑप्शंस या इंट्राडे
ऑप्शंस ट्रेडिंग के फायदे
ऑप्शंस ट्रेडिंग के कई फायदे है, जैसे की:
- खरीदारों के लिए सीमित जोखिम, असीमित फायदा: ऑप्शंस खरीदने वालों को ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम की राशि तक ही नुकसान हो सकता है। लेकिन अगर मार्केट उनके हिसाब से चलता है तो फायदा कई गुना हो सकता है।
- खरीदारों के लिए विकल्प: ऑप्शंस खरीदार को यह तय करने की आजादी होती है कि वह कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज करना चाहता है या नहीं। मार्केट की स्थिति के हिसाब से वह फैसला ले सकता है।
- कम पूंजी की जरूरत: ऑप्शंस ट्रेडिंग में आप कम पैसे लगाकर बड़े ट्रेड कर सकते हैं। मार्जिन की मदद से आप अपनी पूंजी का कई गुना ट्रेड कर सकते हैं।
- पहले से प्रीमियम का भुगतान: ऑप्शंस खरीदते समय ही आपको प्रीमियम देना होता है। इससे आपको पता रहता है कि आपका ज्यादा से ज्यादा कितना नुकसान हो सकता है।
- ऑप्शंस बेचने वालों के लिए फायदा: ऑप्शंस बेचने वालों को अक्सर सही अनुमान लगाने का मौका मिलता है। टाइम डीके और वोलेटाइल मार्केट की वजह से उन्हें फायदा हो सकता है।
ऑप्शंस ट्रेडिंग के नुकसान
हर चीज़ो से जैसे फायदे और नुक्सान जुड़े रहते है, वैसे ही ऑप्शंस ट्रेडिंग के भी कुछ नुक्सान है, जैस की:
- जटिलता: ऑप्शंस ट्रेडिंग को समझना थोड़ा कठिन हो सकता है। इसमें कई प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट्स और रणनीतियां शामिल होती हैं, जिन्हें समझना आवश्यक होता है।
- समय की पाबंदी: ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की एक निश्चित एक्सपायरी डेट होती है। इस समय सीमा के भीतर ही आपको फायदा कमाना होता है।
- प्रीमियम का नुकसान: अगर आपका अनुमान गलत निकलता है तो आपको प्रीमियम का नुकसान हो सकता है।
- ज्यादा जोखिम: ऑप्शंस बेचने वालों के लिए जोखिम ज्यादा होता है। अगर मार्केट उल्टी दिशा में चला जाए तो बड़ा नुकसान हो सकता है।
- मार्केट की अनिश्चितता: ऑप्शंस की कीमत कई कारकों से प्रभावित होती है। इसलिए सही अनुमान लगाना मुश्किल हो सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे
इंट्राडे ट्रेडिंग के कई फायदे है, जैसे की:
- लीवरेज का फायदा: इंट्राडे ट्रेडिंग में आप अपनी पूंजी का 5-10 गुना तक ट्रेड कर सकते हैं। इससे मुनाफे की संभावना बढ़ जाती है।
- रातोंरात के जोखिम से बचाव: इंट्राडे ट्रेडिंग में आप एक ही दिन में पोजीशन खोलते और बंद करते हैं। इससे रात के दौरान मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव का जोखिम नहीं रहता।
- शॉर्ट सेलिंग का मौका: इंट्राडे ट्रेडर्स गिरते बाज़ार में भी पैसा कमा सकते हैं। वे शेयर को पहले बेचकर बाद में कम कीमत पर खरीद सकते हैं।
- तेज लिक्विडिटी: इंट्राडे ट्रेडिंग में आप जल्दी से अपने पैसे निकाल सकते हैं। दिन के अंत में सभी पोजीशन बंद हो जाती हैं।
- कम मार्केट जोखिम: इंट्राडे ट्रेडिंग में आप छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव पर ध्यान देते हैं। इससे लंबी अवधि के मार्केट जोखिम से बचाव होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान
इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ नुकसान भी है, जैसे की :
- समय की कमी: इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको एक ही दिन में खरीद-बिक्री करनी होती है। इससे सही मौके का इंतजार करने का वक्त नहीं मिलता।
- स्थिर कीमतों से नुकसान: अगर दिन भर शेयर की कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं होता तो मुनाफा कमाना मुश्किल हो सकता है।
- पोजीशन बंद करने का दबाव: दिन के अंत में सभी पोजीशन बंद करनी होती हैं। इससे कभी-कभी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- लीवरेज से ज्यादा नुकसान: लीवरेज की वजह से फायदा तो ज्यादा हो सकता है, लेकिन नुकसान भी बड़ा हो सकता है।
- भावनात्मक चुनौतियां: इंट्राडे ट्रेडिंग में जल्दी-जल्दी फैसले लेने पड़ते हैं। इससे तनाव और चिंता हो सकती है।
कौन सा तरीका बेहतर है? ऑप्शंस या इंट्राडे
यह आपकी व्यक्तिगत जरूरतों और लक्ष्यों पर निर्भर करता है:
- अगर आप जोखिम लेने को तैयार हैं और मार्केट की गहरी समझ रखते हैं, तो ऑप्शंस ट्रेडिंग आपके लिए बेहतर हो सकती है।
- अगर आप कम समय में छोटे-छोटे मुनाफे चाहते हैं और रोज मार्केट पर नजर रख सकते हैं, तो इंट्राडे ट्रेडिंग आपके लिए सही हो सकती है।
- शुरुआती निवेशकों के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग से शुरुआत करना ज्यादा आसान हो सकता है। बाद में धीरे-धीरे ऑप्शंस ट्रेडिंग की ओर बढ़ा जा सकता है।
- याद रखें, दोनों ही तरीकों में जोखिम है। इसलिए पहले अच्छी तरह समझें और फिर ही शुरुआत करें।
समाप्ति
ऑप्शंस ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग दोनों ही अपने-अपने तरीके से फायदेमंद हो सकते हैं। आपको अपनी जरूरतों, जोखिम लेने की क्षमता और मार्केट की समझ के हिसाब से चुनाव करना चाहिए। शुरुआत में छोटे-छोटे ट्रेड करके अनुभव हासिल करें। अगर आप ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं तो BlinkX ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करके आसानी से अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। यह एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है जो आपको तेज और सुरक्षित ट्रेडिंग की सुविधा देता है। BlinkX ट्रेडिंग ऐप में कोई छिपे हुए चार्ज नहीं हैं और आप अपने हिसाब से डैशबोर्ड को कस्टमाइज कर सकते हैं।