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डीपी (DP) चार्जेस क्या हैं? जानें इसके बारे में सब कुछ

  • Calender23 Aug 2024
  • user By: BlinkX Research Team
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  • क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं, तो आपको कौन-कौन से चार्जेस देने पड़ते हैं? इनमें से एक महत्वपूर्ण चार्ज है डीपी चार्ज। डीपी यानी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्जेस। ये चार्जेस आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े होते हैं। आइए इस ब्लॉग में जानें कि ये डीपी चार्जेस क्या होते हैं, कौन लगाता है, और क्यों लगाए जाते हैं। हम यह भी समझेंगे कि ये चार्जेस कैसे काम करते हैं और आप इन्हें कैसे कम कर सकते हैं। तो चलिए, शुरू करते हैं इस रोचक विषय की यात्रा!

    डीपी चार्जेस का मतलब

    डीपी चार्जेस को समझने के लिए, पहले हमें यह जानना होगा कि डीमैट अकाउंट क्या होता है।  

    डीमैट अकाउंट एक ऐसा खाता है जहां आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जाते हैं। यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे आपका बैंक अकाउंट, लेकिन इसमें पैसों की जगह शेयर रखे जाते हैं। 

    अब, जब आप कोई शेयर बेचते हैं, तोह आपके ब्रोकर को आपके शेयर्स को डीमैट अकाउंट से निकालना पड़ता है। इसके लिए वे CDSL या NSDL नाम की कंपनियों से मदद लेते हैं। ये कंपनियां आपके शेयरों को सुरक्षित रखने का काम करती हैं। जब आप शेयर बेचते हैं, तो इन कंपनियों को एक फीस देनी पड़ती है। इसी फीस को डीपी चार्जेज बोला जाता हैं। 
     

    डीपी चार्जेस की खास बातें 

    1. ये चार्जेस एक निश्चित राशि होती है। मतलब, चाहे आप एक शेयर बेचें या हजार, चार्ज एक ही रहेगा।
    2. ये चार्जेस आपके ब्रोकर के बिल में नहीं दिखते, बल्कि सीधे आपके अकाउंट से कट जाते हैं।
    3. BTST (Buy Today Sell Tomorrow) ट्रेड्स में भी ये चार्जेस लगते हैं।

    सामग्री की तालिका

    1. डीपी चार्जेस का मतलब
    2. डीपी चार्जेस कौन लगाता है?
    3. डीपी चार्जेस क्यों लगाए जाते हैं?
    4. डीपी चार्जेस कितने होते हैं?
    5. डीपी चार्जेस के अलग-अलग प्रकार

    डीपी चार्जेस कौन लगाता है?

    भारत में मुख्य रूप से दो कंपनियां हैं जो डीपी चार्जेस लगाती हैं: 

    1. NSDL (National Securities Depository Limited)
    2. CDSL (Central Depository Services Limited) 

    ये कंपनियां आपके शेयरों को सुरक्षित रखने का काम करती हैं। जब आप NSE पर कोई शेयर बेचते हैं, तो NSDL को चार्ज मिलता है। BSE पर बेचने पर CDSL को चार्ज मिलता है।

    डीपी चार्जेस के अलावा, निवेशकों को चार और तरह के चार्जेस देने पड़ते हैं 

    1. डीमैट अकाउंट खोलने की फीस
    2. वार्षिक रखरखाव शुल्क (AMC)
    3. ट्रांजेक्शन फीस
    4. कस्टोडियन फीस

    डीपी चार्जेस क्यों लगाए जाते हैं?

    आप सोच रहे होंगे कि ये चार्जेस क्यों लगाए जाते हैं। इसके पीछे कुछ कारण हैं:

    1. डीपी बनने के लिए कंपनियों को SEBI, NSDL,और CDSL को फीस देनी पड़ती है।
    2. उन्हें सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, और अन्य सुविधाओं पर खर्च करना पड़ता है।
    3. वे अपने कर्मचारियों को वेतन देते हैं।
    4. नए तकनीक में निवेश करते हैं ताकि आपको बेहतर सेवाएं मिल सकें। 

    इन सब खर्चों को पूरा करने के लिए वे डीपी चार्जेस लेते हैं।

    डीपी चार्जेस कितने होते हैं?

    आम तौर पर, डीपी चार्जेस 12.5 रुपये + 18% GST होते हैं। यह चार्ज हर दिन, हर शेयर के लिए अलग से लगता है। मतलब: 

    • अगर आप एक दिन में एक कंपनी के 100 शेयर बेचते हैं, तो आपको 12.5 रुपये + 18% GST देना होगा।
    • अगर उसी दिन आप दो अलग-अलग कंपनियों के 100-100 शेयर बेचते हैं, तो आपको 25 रुपये + 18% GST देना होगा।

    डीपी चार्जेस के अलग-अलग प्रकार

    डीपी चार्जेस के कई रूप होते हैं, जो आपके निवेश यात्रा के अलग-अलग पड़ावों पर लागू होते हैं। आइए जानें इन विभिन्न प्रकार के चार्जेस के बारे में, जो आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े हैं और आपके निवेश को प्रभावित करते हैं। 

    1. अकाउंट खोलने का चार्ज: जब आप नया डीमैट अकाउंट खोलते हैं, तो यह चार्ज लगता है। यह कुछ सौ से लेकर हजारों रुपये तक हो सकता है। 
    2. अकाउंट रखरखाव चार्ज: यह सालाना चार्ज होता है। इससे आपका अकाउंट अपडेट रहता है और आपको रिपोर्ट्स मिलती रहती हैं। 
    उदाहरण: मान लीजिए आपका डीमैट अकाउंट XYZ कंपनी के साथ है। वे हर साल 2000 रुपये का रखरखाव चार्ज लेते हैं। इससे वे आपका अकाउंट अपडेट रखते हैं और आपको जरूरी जानकारी भेजते रहते हैं। 

    3. ट्रांजेक्शन चार्जेस: जब आप शेयर खरीदते या बेचते हैं, तो यह चार्ज लगता है। 
    उदाहरण: आप ABC ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग करते हैं। उनके चार्जेस इस तरह हैं:

    • 200 शेयर खरीदने पर: 20 रुपये
    • 150 शेयर बेचने पर: 25 रुपये
    • 100 शेयर ट्रांसफर करने पर: 15 रुपये
    • 300 शेयर खरीदने पर: 30 रुपये
    • कुल चार्जेस: 90 रुपये

    4. डिपॉजिटरी फीस: यह NSDL या CDSL को दी जाने वाली फीस है। 
    5. कस्टोडियन चार्जेस: बड़े निवेशकों जैसे पेंशन फंड या म्यूचुअल फंड के लिए यह चार्ज होता है।
    उदाहरण: एक पेंशन फंड PQR कस्टोडियन कंपनी की सेवाएं लेता है। PQR कंपनी हर साल कुल निवेश का 0.1% चार्ज करती है। अगर पेंशन फंड ने 10 लाख रुपये का निवेश किया है, तो उन्हें हर साल 1000 रुपये (10 लाख का 0.1%) कस्टोडियन चार्ज देना होगा। 
    6. SMS और ईमेल अलर्ट के चार्जेस: कुछ ब्रोकर आपको SMS या ईमेल से अपडेट भेजने के लिए अलग से चार्ज लेते हैं। 

    समाप्ति 

    डीपी चार्जेस शेयर मार्केट में निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये चार्जेस आपके निवेश को सुरक्षित रखने और सही तरीके से मैनेज करने में मदद करता हैं। हालांकि ये चार्जेस कुछ निवेशकों को ज्यादा लग सकते हैं, लेकिन ये जरूरी हैं। अच्छी बात ये है कि अब कई ब्रोकर कम डीपी चार्जेस की पेशकश कर रहे हैं।

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