शेयर मार्केट में IPO क्या होता है?

शेयर मार्केट में IPO क्या होता है?

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शेयर बाजार में IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके माध्यम से कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर आम जनता को बेचकर पब्लिक कंपनी बनती है। IPO के जरिए कंपनियां बड़ी मात्रा में पूंजी जुटा सकती हैं और निवेशकों को नई कंपनियों में निवेश का मौका मिलता है। आइए IPO के बारे में विस्तार से जानें।

IPO क्या होता है?

IPO का पूरा नाम इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग होता है। इसका मतलब है किसी कंपनी द्वारा पहली बार अपने शेयर आम जनता को बेचना। IPO के जरिए एक प्राइवेट कंपनी पब्लिक कंपनी बन जाती है।

शुरुआत में कोई कंपनी अपने संस्थापकों, शुरुआती निवेशकों और कर्मचारियों के पैसे से चलती है। जब कंपनी का व्यवसाय बढ़ जाता है और उसे ज्यादा पैसों की जरूरत होती है, तो वह IPO लाने का फैसला करती है। IPO से कंपनी को बड़ी मात्रा में पूंजी मिल जाती है, जिससे वह अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकती है।

सामग्री की तालिका

  1. IPO क्या होता है?
  2. IPO कैसे काम करता है? 
  3. IPO के प्रकार
  4. IPO क्यों जारी किए जाते हैं? IPO लॉन्च करने की आवश्यकता क्या है?
  5. IPO से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द 
  6. IPO के फायदे और नुकसान
  7. IPO में निवेशकों के प्रकार
  8. आईपीओ से कंपनी को कैसे लाभ होता है?
  9. IPO में निवेश करने से पहले आपको क्या जानना चाहिए?

IPO कैसे काम करता है? 

IPO की प्रक्रिया इस तरह होती है: 

  • कंपनी IPO लाने का फैसला करती है और SEBI से मंजूरी लेती है।
  • कंपनी अपने शेयरों की कीमत तय करती है। इसे प्राइस बैंड कहते हैं।
  • आम लोग इस प्राइस बैंड में शेयर खरीदने के लिए आवेदन करते हैं।
  • कंपनी शेयरों का आवंटन करती है और स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग होती है।
  • लिस्टिंग के बाद शेयर खुले बाजार में खरीदे-बेचे जा सकते हैं।

IPO के प्रकार

IPO दो तरह के होते हैं:

फिक्स्ड प्राइस IPO

इसमें कंपनी शेयर की एक निश्चित कीमत तय करती है। एक निश्चित मूल्य प्रस्ताव में, व्यवसाय प्रारंभिक स्टॉक मूल्य निर्धारित करता है, और निवेशकों को वांछित मात्रा के शेयर खरीदने के लिए उस विशेष मूल्य का भुगतान करना होता है।

बुक-बिल्डिंग IPO

बुक-बिल्डिंग IPO में, कंपनी आगामी IPO के लिए एक मूल्य सीमा निर्धारित करती है, जिसमें न्यूनतम मूल्य (फ्लोर प्राइस) और अधिकतम मूल्य (कैप प्राइस) होता है। अंडरराइटर्स और कंपनी के निवेशकों के बीच सहयोगात्मक निर्णय प्रक्रिया के माध्यम से, शेयर का मूल्य मतदान के आधार पर निर्धारित किया जाता है। जब बोलियां लगाई जाती हैं, तो शेयर चयनित बोलियों को आवंटित किए जाते हैं।

IPO क्यों जारी किए जाते हैं? IPO लॉन्च करने की आवश्यकता क्या है?

कंपनी शेयर बाजार में IPO जारी करने के लिए दो मुख्य कारण हैं: पैसे जुटाना या अपने पहले समर्थकों या एंजेल निवेशकों को पैसा वापस देना। 

जब एक कंपनी IPO जारी करती है, तो यह जनता को निवेश करने की अनुमति देती है। IPO कंपनियों को संभावित निवेशकों का एक बड़ा पूल प्रदान करते हैं, जिससे वे निजी निवेशकों की तुलना में अधिक धन जुटा सकते हैं। 

एक अन्य कारण IPO लॉन्च करने का यह है कि यह अपने पहले समर्थकों को पुरस्कृत करता है। ये समर्थक अपनी कंपनी के शेयर बेचकर अपने द्वारा किए गए प्रारंभिक निवेश का कुछ धन वापस प्राप्त कर सकते हैं।

IPO से जुड़े महत्वपूर्ण शब्द 

IPO प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण शब्द और टर्म्स होते हैं, जिन्हें समझना आवश्यक है, जैसे की: 

  • अंडरराइटर: IPO को अंडरराइट करने में कंपनी की सहायता करने वाला बैंकर, वित्तीय संस्थान या ब्रोकर, जो जनता और जारीकर्ता के बीच मध्यस्थ का काम करता है। 
  • प्राइस बैंड: जिस मूल्य सीमा में एक कंपनी जनता के लिए शेयर जारी करने की योजना बना रही है, उसे प्राइस बैंड कहा जाता है। 
  • इश्यू साइज: IPO में, जारी किए गए शेयरों की कुल संख्या को प्रत्येक शेयर के मूल्य से गुणा करके कुल मूल्य प्राप्त किया जाता है।
  • अंडर सब्सक्रिप्शन: जब जनता द्वारा जारी किए गए शेयरों से कम दिलचस्पी दिखाई जाती है, तो अंडर सब्सक्रिप्शन की स्थिति पैदा हो जाती है। 
  • ओवर सब्सक्रिप्शन: जब कंपनी को उपलब्ध शेयरों से अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं, तो ओवर सब्सक्रिप्शन की स्थिति पैदा हो जाती है। 
  • DRHP (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस): निवेश बैंकरों द्वारा बुक-बिल्ट IPO के लिए बनाया गया एक प्रारंभिक पंजीकरण दस्तावेज। यह वित्तीय और परिचालन विवरण, साथ ही धन जुटाने के कारणों को शामिल करता है। 
  • RHP (रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस): बुक-बिल्ट IPO के लिए SEBI को प्रस्तुत किया जाने वाला प्रारंभिक पंजीकरण दस्तावेज। इसमें जारी किए जाने वाले शेयरों की मात्रा और उनके प्रस्तावित मूल्य के बारे में विशिष्ट विवरण नहीं होते हैं।

IPO के फायदे और नुकसान

IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह कंपनी को पब्लिक बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें फायदे और नुकसान दोनों हैं।

फायदे

नुकसान

पूंजी जुटाना (कैपिटल रेज़िंग): जब कोई कंपनी IPO करती है, तो वह अपने शेयर लोगों को बेचती है। इससे कंपनी को बहुत सारा पैसा मिल जाता है, जिसे वह अपने काम के लिए इस्तेमाल कर सकती है।महंगी प्रक्रिया (कॉस्टली प्रोसीजर): IPO करना बहुत महंगा होता है। कंपनी को वकील, अकाउंटेंट और बैंक वालों को बहुत पैसा देना पड़ता है।
व्यापार की साख बढ़ना (बिज़नेस क्रेडिबिलिटी): IPO करने के लिए, कंपनी को कई नियमों का पालन करना पड़ता है। इससे लोगों को लगता है कि यह कंपनी भरोसेमंद है, और वे इस कंपनी में पैसा लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं।नियमों का पालन (रेगुलेटरी कंप्लायंस): कंपनी को बहुत सारे नियमों का पालन करना पड़ता है। इसमें समय और पैसा दोनों लगता है।
कर्ज मिलना आसान (एक्सेस टू डेब्ट फंडिंग): जब कोई कंपनी पब्लिक हो जाती है, तो बैंक और दूसरे लोग उसे आसानी से कर्ज दे देते हैं। इससे कंपनी बड़े काम कर सकती है।नियंत्रण खोना (लॉस ऑफ कंट्रोल):  IPO के बाद कंपनी के मालिक अकेले फैसले नहीं ले सकते। उन्हें दूसरे शेयरहोल्डर्स की भी सुननी पड़ती है।
ब्रांड की पहचान बढ़ना (ब्रांड इमेज इम्प्रूवमेंट): कंपनी की पहचान बाजार में बढ़ जाती है। इससे ज्यादा लोग कंपनी के बारे में जानते हैं और उसके प्रोडक्ट खरीदते हैं।जोखिम बढ़ना (इंक्रीस्ड रिस्क): शेयर बाजार में कंपनी के शेयर की कीमत कभी ऊपर जाती है तो कभी नीचे। इससे कंपनी और निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ जाता है।
कर्मचारियों को लाभ (एम्प्लॉयी बेनेफिट्स): कर्मचारियों को शेयर देकर उनका मनोबल बढ़ाया जा सकता है।निजता खोना (प्राइवेसी लॉस): कंपनी को अपनी जानकारी सबके सामने रखनी पड़ती है। कंपनी को अपने सारे हिसाब-किताब सबको दिखाने पड़ते हैं।

IPO में निवेशकों के प्रकार

जब आईपीओ निवेश की बात आती है, तो इसे तीन श्रेणियों में बांटा जाता है:

क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs)

इसमें बड़ी निवेश कंपनियां, म्युचुअल फंड, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और सेबी (SEBI) में पंजीकृत संगठन शामिल होते हैं। बुक-बिल्ट इश्यू में, इन्हें 50% तक प्रतिभूतियां आवंटित की जाती हैं। अनिवार्य बुक-बिल्ट इश्यू में कम से कम 75% प्रतिभूतियां QIBs के लिए आरक्षित होती हैं।

रिटेल इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स (RII)

ये वे व्यक्तिगत निवेशक हैं जिनका कुल निवेश मूल्य 2 लाख रुपये तक होता है। बुक-बिल्ट इश्यू में, इस समूह के लिए कम से कम 35% शेयर निर्धारित किए जाते हैं। अनिवार्य बुक-बिल्ट इश्यू में अधिकतम 10% आवंटन की अनुमति होती है। फिक्स्ड-प्राइस इश्यू में कम से कम 50% शेयर आवंटित किए जाते हैं।

नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII)

इसमें QIBs और रिटेल ग्राहकों के अलावा अन्य निवेशक शामिल होते हैं, जैसे हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) और व्यावसायिक संस्थाएं। बुक-बिल्ट इश्यू में इस समूह के लिए कम से कम 15% स्टॉक अलग रखे जाते हैं। अनिवार्य बुक-बिल्ट इश्यू में नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के लिए आवंटन 15% से अधिक नहीं हो सकता।

आईपीओ से कंपनी को कैसे लाभ होता है?

आईपीओ कंपनी को कई फायदे देता है:

  • नई पूंजी जुटाने और शुरुआती निवेशकों के लिए निकास का अवसर प्रदान करता है।
  • जुटाई गई पूंजी का उपयोग विस्तार, विविधीकरण और अन्य रणनीतिक पहलों के लिए किया जा सकता है।
  • लिस्टेड कंपनियों को अधिक पारदर्शिता और आवश्यक खुलासों के कारण व्यापक स्वीकृति मिलती है।
  • आईपीओ स्टॉक लिस्टिंग की सुविधा देता है, जो शेयरहोल्डर्स के लिए धन सृजन करता है और मूल्यांकन की नींव रखता है।
  • लिस्टिंग भविष्य के अकार्बनिक विकास के लिए एक मूल्यवान कर्रेंसी बन जाती है।

IPO में निवेश करने से पहले आपको क्या जानना चाहिए?

IPO में निवेश करते समय निवेशक को निम्नलिखित बातों पर विचार करना चाहिए: 

  1. आईपीओ में निवेश करने के जोखिम और लाभों पर विचार करें। यदि आप इस क्षेत्र में नए हैं, तो किसी विशेषज्ञ या वेल्थ मैनेजमेंट फर्म से सलाह लें। यदि आप अनिश्चित हैं, तो व्यक्तिगत वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेने का सुझाव दिया जाता है। 
  2. यह आपके पोर्टफोलियो का वह संपत्ति है जिसमें सबसे अधिक लाभदायक रिटर्न की संभावना है। इसके विपरीत, यह चुपचाप आपके निवेश को डुबो भी सकता है। याद रखें कि स्टॉक बाजार की अस्थिरता से गुजरते हैं। 
  3. यदि आपने किसी कंपनी से आईपीओ खरीदा है, तो आप उस कंपनी की किस्मत से जुड़े हैं। आपकी भलाई सीधे उसकी सफलताओं और असफलताओं से प्रभावित होती है। 

यह जानना महत्वपूर्ण है कि जनता को अपने शेयर की पेशकश करने वाली कंपनी पूंजी वापस करने के लिए बाध्य नहीं है। जनता के निवेश को वापस भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।

समाप्ति 
IPO में निवेश एक आकर्षक अवसर हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी शामिल हैं। सावधानीपूर्वक रिसर्च करें, अपने जोखिम सहने की क्षमता का आकलन करें, और यदि आवश्यक हो तो पेशेवर सलाह लें। याद रखें, सभी निवेश बाजार जोखिम के अधीन हैं और पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं देता है। इससे कंपनियों को पूंजी मिलती है और निवेशकों को नए अवसर। लेकिन IPO में निवेश करने से पहले अच्छी तरह रिसर्च करना जरूरी है। अगर आप IPO में निवेश करना चाहते हैं, तो BlinkX ट्रेडिंग एप डाउनलोड करके आसानी से डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। यह एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है जो आपको सफल निवेश में मदद करेगा।

IPO से संबंधित से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

IPO में आमतौर पर एक लॉट की कीमत के बराबर न्यूनतम निवेश किया जा सकता है। यह राशि अलग-अलग IPO के लिए अलग हो सकती है।

एक लॉट में शेयरों की संख्या हर IPO के लिए अलग हो सकती है। यह संख्या आमतौर पर प्रॉस्पेक्टस में दी जाती है।

IPO एक प्रक्रिया है जिसके तहत कंपनी अपने शेयर पहली बार जनता को बेचती है। इसके बाद ये शेयर स्टॉक मार्केट में ट्रेड होते हैं।

IPO में निवेश फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी होता है। अच्छी तरह रिसर्च करके ही IPO में निवेश करना चाहिए।

IPO से होने वाले मुनाफे की गणना लिस्टिंग प्राइस और अलॉटमेंट प्राइस के अंतर से की जाती है। अगर आप शेयर लंबे समय तक रखते हैं तो बाजार मूल्य के आधार पर मुनाफा या नुकसान होता है।

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