आपके पोर्टफोलियो के लिए इक्विटी का सही परसेंटेज कितना होना चाहिए?

आपके पोर्टफोलियो के लिए इक्विटी का सही परसेंटेज कितना होना चाहिए?

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क्या आप अपने पैसे को बढ़ाना चाहते हैं? तो आपको शेयर बाज़ार के बारे में जानना बहुत जरूरी है। शेयर बाज़ार एक ऐसी जगह है जहां आप कंपनियों के हिस्से खरीद और बेच सकते हैं। इससे आपको उन कंपनियों की सफलता में हिस्सा बनने का मौका मिलता है। लेकिन ध्यान रहे, शेयर बाज़ार में पैसा लगाना थोड़ा जोखिम भरा भी हो सकता है। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आपको अपने पैसे का कितना हिस्सा शेयरों में लगाना चाहिए। आइए इस बारे में विस्तार से इस ब्लॉग में जानें।
 

शेयर बाज़ार क्या है?

शेयर बाज़ार में, बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने व्यापार के छोटे-छोटे हिस्से बेचती हैं, जिन्हें 'शेयर' कहा जाता है। आप इन शेयरों को खरीदकर उन कंपनियों के मालिक का एक छोटा सा हिस्सा बन जाते हैं। जब कंपनी अच्छा काम करती है और उसका मुनाफा बढ़ता है, तो आपके शेयर की कीमत भी बढ़ जाती है। इस तरह आपको फायदा होता है।
 

सामग्री की तालिका

  1. शेयर बाज़ार क्या है?
  2. पोर्टफोलियो क्या होता है?
  3. इक्विटी निवेश का सही  प्रतिशत
  4. डायवर्सिफिकेशन क्यों जरूरी है?
  5. कितना डायवर्सिफिकेशन करना सही है?
  6. एक विविध पोर्टफोलियो के लिए कितने शेयर होने चाहिए?
  7. पोर्टफोलियो में शेयर और बॉन्ड का रेश्यो
  8. एक अच्छा इक्विटी पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?
  9. सही शेयर कैसे चुनें ?

पोर्टफोलियो क्या होता है?

अब आइए 'पोर्टफोलियो' शब्द को समझें। सोचिए कि आपके पास एक बड़ा बस्ता है, जिसमें आप अपनी सारी किताबें रखते हैं। इसी तरह, पोर्टफोलियो एक ऐसा 'फाइनेंसियल बस्ता' होता है, जिसमें आप अपने सारे इन्वेस्टमेंट रखते हैं। इसमें आपके शेयर, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड्स, और दूसरे निवेश शामिल होते हैं।एक अच्छा पोर्टफोलियो वह होता है जिसमें अलग-अलग तरह के निवेश होते हैं। 
 

इक्विटी निवेश का सही  प्रतिशत

अब सवाल यह है कि आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी (यानी शेयर) का कितना हिस्सा होना चाहिए? इसका जवाब आपकी उम्र, आपके जोखिम लेने की क्षमता, और आपके निवेश के लक्ष्यों पर निर्भर करता है।

एक आसान नियम है जिसे '100 माइनस आपकी उम्र' कहा जाता है। यानी, अपनी उम्र को 100 से घटा दीजिए, और जो नंबर आए, वह आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी का प्रतिशत हो सकता है। उदाहरण के लिए:

  • अगर आपकी उम्र 30 साल है, तो आप अपने पोर्टफोलियो का 70% (100 - 30) हिस्सा इक्विटी में रख सकते हैं।
  • अगर आपकी उम्र 50 साल है, तो आप 50% (100 - 50) इक्विटी में रख सकते हैं।

लेकिन यह सिर्फ एक बेसिक गाइड है। आपको अपनी परिस्थितियों के हिसाब से इसमें बदलाव कर सकते हैं।
 

डायवर्सिफिकेशन क्यों जरूरी है?

डायवर्सिफिकेशन यानी अपने पैसे को अलग-अलग जगह लगाना, आपके जोखिम को कम करता है। मान लीजिए, आप अपने सारे पैसे सिर्फ एक कंपनी के शेयर में लगा दिए। अगर वो कंपनी अच्छा काम करती है, तो आपको बहुत फायदा होगा। लेकिन अगर उस कंपनी को कोई नुकसान हो जाता है, तो आपके सारे पैसे डूब सकते हैं। इसलिए अपने पैसे को अलग-अलग कंपनियों और सेक्टर्स में लगाना ज्यादा समझदारी है।
 

कितना डायवर्सिफिकेशन करना सही है?

जैसे हर चीज की एक सीमा होती है, वैसे ही डायवर्सिफिकेशन की भी एक सीमा होती है। बहुत ज्यादा डायवर्सिफिकेशन भी नुकसान दे सकता है। आइए एक उदाहरण से समझें:

मान लीजिए, आपने 1 लाख रुपये निवेश करने का फैसला किया। आपने सोचा कि ज्यादा से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन अच्छा है, और आपने 50 अलग-अलग कंपनियों के शेयर खरीद लिए, हर एक में 2,000 रुपये लगाकर। अब अगर इनमें से कोई एक शेयर दोगुना हो जाता है, तो आप खुश होंगे। लेकिन जब आप देखेंगे कि आपके पूरे पोर्टफोलियो में सिर्फ 2% का फायदा हुआ है, तो आपको निराशा होगी।

इसलिए, न तो बहुत ज्यादा डायवर्सिफिकेशन अच्छा है, और न ही बहुत कम। एक संतुलित दृष्टिकोण सबसे अच्छा होता है।
 

एक विविध पोर्टफोलियो के लिए कितने शेयर होने चाहिए?

हालांकि कोई मैजिक नंबर नहीं है, लेकिन आम तौर पर माना जाता है कि एक अच्छे विविध पोर्टफोलियो में कम से कम 10-15 अलग-अलग कंपनियों के शेयर होने चाहिए। इन शेयरों को अलग-अलग सेक्टर्स से चुनना चाहिए, जैसे बैंकिंग, आईटी, फार्मा, ऑटो, आदि।

याद रखें, सिर्फ शेयरों की संख्या महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भी जरूरी है कि वे शेयर किस तरह के हैं और किस सेक्टर से हैं।
 

पोर्टफोलियो में शेयर और बॉन्ड का रेश्यो

आपके पोर्टफोलियो में शेयर और बॉन्ड का अनुपात आपकी रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप ज्यादा जोखिम ले सकते हैं और ज्यादा रिटर्न चाहते हैं, तो आप अपने पोर्टफोलियो में शेयरों का हिस्सा ज्यादा रख सकते हैं। अगर आप कम जोखिम लेना चाहते हैं, तो बॉन्ड्स का हिस्सा ज्यादा रख सकते हैं।

एक सामान्य गाइडलाइन के अनुसार:

  • अगर आप बहुत ज्यादा जोखिम ले सकते हैं: 80% शेयर, 20% बॉन्ड
  • अगर आप मध्यम जोखिम लेना चाहते हैं: 60% शेयर, 40% बॉन्ड
  • अगर आप कम जोखिम लेना चाहते हैं: 40% शेयर, 60% बॉन्ड

याद रखें, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपको अपने पोर्टफोलियो में शेयरों का हिस्सा कम करते जाना चाहिए और बॉन्ड्स का हिस्सा बढ़ाते जाना चाहिए। यह इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे आप रिटायरमेंट के करीब पोहोचते हैं, आपको अपने पैसे की सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
 

एक अच्छा इक्विटी पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?

अब जब आप डायवर्सिफिकेशन के महत्व को समझ गए हैं, तो आइए जानते हैं कि एक अच्छा इक्विटी पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाए:

  1. 15-20 शेयर खरीदे: एक अच्छे विविध पोर्टफोलियो में 15-20 अलग-अलग कंपनियों के शेयर होने चाहिए। इससे कम शेयर होने पर आपका जोखिम बढ़ जाता है, और इससे ज्यादा होने पर आपके मुनाफे पर असर पड़ सकता है।
  2. किसी एक शेयर में 8% से ज्यादा निवेश न करें: अगर आपने अपने पोर्टफोलियो का 30-40% एक ही शेयर में लगा दिया, तो यह डायवर्सिफिकेशन नहीं कहलाएगा। इसलिए किसी भी एक शेयर में अपने पोर्टफोलियो का 8% से ज्यादा न लगाएं।
  3. किसी एक सेक्टर में 25% से ज्यादा न लगाएं: अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग सेक्टरों में बांटें। किसी एक सेक्टर में 25% से ज्यादा न लगाएं। इससे अगर किसी एक सेक्टर को नुकसान होता है, तो आपका पूरा पोर्टफोलियो प्रभावित नहीं होगा।
  4. स्टेबल कंपनियों का मिश्रण रखें: अपने पोर्टफोलियो में बड़ी, स्थिर कंपनियों (जिन्हें ब्लू-चिप कंपनियां कहा जाता है) और छोटी, तेजी से बढ़ने वाली कंपनियों का मिश्रण रखें। इससे आपको सुरक्षा और विकास दोनों मिलेंगे।
  5. नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें: हर 6 महीने या साल में एक बार अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें। देखें कि कौन से शेयर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और कौन से नहीं। जरूरत पड़ने पर बदलाव करें।
     

सही शेयर कैसे चुनें ?

सही शेयर चुनना एक कला है। यहां कुछ टिप्स है जो आपकी मदद कर सकते हैं:

  1. कंपनी को समझें: जिस कंपनी का शेयर आप खरीद रहे हैं, उसके व्यवसाय को समझें। क्या वह कंपनी ऐसा कुछ बनाती या बेचती है जिसकी लोगों को जरूरत है?
  2. वित्तीय स्वास्थ्य की जांच करें: कंपनी के वित्तीय विवरण देखें। क्या कंपनी मुनाफा कमा रही है? क्या उस पर बहुत ज्यादा कर्ज तो नहीं है?
  3. प्रबंधन की जांच करें: कंपनी का प्रबंधन कैसा है? क्या उनके पास अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है?
  4. भविष्य की संभावनाएं: क्या कंपनी के विकास की अच्छी संभावनाएं हैं? क्या वह नए उत्पाद या सेवाएं लाने की योजना बना रही है?
  5. मूल्यांकन: क्या शेयर का मौजूदा मूल्य उचित है? कभी-कभी अच्छी कंपनियों के शेयर भी बहुत महंगे हो सकते हैं।
     

समाप्ति 
याद रखें कि आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी का सही प्रतिशत आपकी परिस्थितियों पर निर्भर करता है। आपकी उम्र, और जोखिम लेने की क्षमता, ये सभी महत्वपूर्ण कारक है। याद रखें, डायवर्सिफिकेशन बहुत महत्वपूर्ण है। 15-20 अलग-अलग शेयर, हर शेयर में अधिकतम 8% निवेश, और किसी एक सेक्टर में 25% से ज्यादा निवेश न करना - ये कुछ अच्छे नियम हैं जिनका पालन आप कर सकते हैं। 

अगर आप शेयर बाज़ार में निवेश शुरू करना चाहते हैं, तो आप BlinkX ट्रेडिंग एप के बारे में सोच सकते हैं। यह एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है जो आपको मिनटों में डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा देता है। BlinkX ट्रेडिंग एप आपको तेज़ ऑर्डर प्लेसमेंट, पर्सनलाइज्ड अलर्ट्स, और कई अन्य सुविधाएं देता है। साथ ही, इसमें कोई छिपे हुए चार्ज नहीं हैं। आप मोबाइल ऐप या वेब वर्जन, दोनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह प्लेटफार्म  आपको स्टॉक चार्ट्स जैसी चीजों को समझने में मदद करता है और आप रियल ट्रेडिंग शुरू करने से पहले प्रैक्टिस कर सकते हैं।

इक्विटी परसेंटेज से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नहीं, यह अच्छा विचार नहीं है। आपको अपने पैसे को अलग-अलग जगहों पर लगाना चाहिए, जैसे शेयर, बॉन्ड्स, सोना, और फिक्स्ड डिपॉजिट्स। इससे आपका जोखिम कम होता है।

छोटी कंपनियों के शेयर ज्यादा जोखिम भरे होते हैं, लेकिन उनमें ज्यादा मुनाफे की संभावना भी होती है। आप अपने पोर्टफोलियो में कुछ छोटी कंपनियों के शेयर रख सकते हैं, लेकिन ज्यादातर हिस्सा बड़ी, स्थिर कंपनियों का होना चाहिए।

हर 6 महीने या साल में एक बार अपने पोर्टफोलियो की रिव्यु करना अच्छा रहता है। लेकिन हर दिन शेयरों के भाव की चिंता करने की जरूरत नहीं है।

नियमित रूप से निवेश करना अच्छा होता है। आप SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के बारे में सोच सकते हैं, जहां आप हर महीने एक निश्चित राशि निवेश करते हैं।

घबराएं नहीं। पहले यह समझें कि शेयर क्यों गिर रहा है। अगर कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं, तो धैर्य रखें। अगर आपको लगता है कि कंपनी के भविष्य में सुधार की संभावना नहीं है, तो आप उस शेयर को बेचने के बारे में सोच सकते हैं।

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