ऑप्शंस ट्रेडिंग पर इनकम टैक्स

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आज के आधुनिक शेयर मार्केट में, ऑप्शंस ट्रेडिंग एक लोकप्रिय निवेश विकल्प बन गया है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस प्रकार की ट्रेडिंग पर इनकम टैक्स कैसे लागू होता है? बहुत से व्यापारी जानकारी की कमी के कारण अपने नुकसान को सही तरीके से घोषित नहीं कर पाते हैं। इस ब्लॉग में, हम ऑप्शंस ट्रेडिंग पर लगने वाले इनकम टैक्स के बारे में समझेंगे । हम डेरिवेटिव्स टर्नओवर, टैक्स लाभ, खर्चों की क्लेम प्रक्रिया, और ऑडिट आवश्यकताओं जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे। 

डेरिवेटिव्स टर्नओवर क्या है?

डेरिवेटिव्स टर्नओवर की गणना फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में किए गए सभी लेनदेन के कुल मूल्य से की जाती है। यह समझने के लिए, आइए एक उदाहरण देखें: 

उदाहरण:

  • एक व्यापारी ने RIL फ्यूचर्स में 1,25,000 रुपये का लाभ कमाया
  • TCS फ्यूचर्स में 25,000 रुपये का नुकसान हुआ
  • INFY 1400 CE ऑप्शन खरीदा, प्रीमियम 15,000 रुपये
  • ITC 450 PE ऑप्शन बेचा, प्रीमियम 32,000 रुपये

कुल टर्नओवर = 1,25,000 + 25,000 + 15,000 + 32,000 = 1,97,000 रुपये 

यहां एक सरल तालिका है जो इसे और स्पष्ट करती है:

कॉन्ट्रैक्टखरीद मूल्यमात्राकुल खरीदबिक्री मूल्यमात्राकुल बिक्रीटर्नओवर
RIL10002502500001500250375000125000
TCS20001252500001800125225000-25000
INFY 1400 CE5030015000---15000
ITC 450 PE---1032003200032000
कुल टर्नओवर------197000

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सामग्री की तालिका

  1. डेरिवेटिव्स टर्नओवर क्या है?
  2. टैक्स लाभ: नुकसान को ऑफसेट करने और आगे ले जाने की सुविधा
  3. ऑप्शंस ट्रेडिंग से जुड़े खर्चों को कैसे क्लेम करें?
  4. फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑडिट की आवश्यकताएं
  5. कुल टर्नओवर की गणना कैसे करें?

टैक्स लाभ: नुकसान को ऑफसेट करने और आगे ले जाने की सुविधा

ऑप्शंस ट्रेडिंग में एक बड़ा फायदा यह है कि आप अपने नुकसान को दूसरे इनकम स्रोतों से ऑफसेट कर सकते हैं। यानी:

अगर आपको ऑप्शंस ट्रेडिंग में नुकसान हुआ है, तो आप उसे किराये की इनकम, ब्याज इनकम जैसे दूसरे स्रोतों से हुए लाभ से कम कर सकते हैं। 

जो नुकसान इस साल ऑफसेट नहीं हो पाता, उसे आप अगले 8 सालों तक आगे ले जा सकते हैं।

याद रखें, वेतन से हुई इनकम को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता।

ऑप्शंस ट्रेडिंग से जुड़े खर्चों को कैसे क्लेम करें?

व्यापार से जुड़े कई खर्चों को आप अपने टैक्स में कटौती के रूप में दिखा सकते हैं। इनमें शामिल हैं: 

  • ब्रोकरेज और कमीशन
  • सब्सक्रिप्शन फीस
  • टेलीफोन खर्च
  • सलाहकार फीस
  • कर्मचारियों का वेतन (जो व्यापार में मदद करते हैं) 

ध्यान रखें:

  • सभी खर्चों का सही रिकॉर्ड रखें
  • 10,000 रुपये से ज्यादा के नकद खर्चे आमतौर पर मान्य नहीं होते

फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑडिट की आवश्यकताएं

आपको टैक्स ऑडिट की जरूरत पड़ सकती है अगर:

  • आपका कुल टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है
  • आपने पिछले 5 सालों में कभी presumptive rate (धारा 44AD) पर इनकम घोषित की थी, लेकिन इस साल आप कम रेट पर या नुकसान दिखाना चाहते हैं

कुल टर्नओवर की गणना कैसे करें?

कुल टर्नओवर की गणना बहुत आसान है:

  • हर ट्रेड में खरीद और बिक्री के बीच के अंतर को लें (चाहे फायदा हो या नुकसान)
  • सभी अंतरों को जोड़ दें (नकारात्मक संख्याओं को भी धनात्मक मान लें)
  • यह कुल योग ही आपका टर्नओवर है

यह आंकड़ा आपके व्यापार के आकार को समझने और टैक्स नियमों का पालन करने में मदद करता है। 

समाप्ति 
ऑप्शंस ट्रेडिंग एक जटिल लेकिन आकर्षक निवेश विकल्प है। इस पर लगने वाले इनकम टैक्स को समझना जरूरी है ताकि आप अपने लाभ को अधिकतम कर सकें और कानूनी रूप से सही रहें। याद रखें, अगर आपको इस विषय से सबंधित कोई चीज़ समझने में दिक्कत हो रही हो तो आप किसी अनुभवी चार्टर्ड अकाउंटेंट की सलाह ले सकते है। 

अगर आप ऑप्शंस ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं, तो BlinkX ट्रेडिंग एप एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। यह एप आपको मिनटों में डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा देता है। BlinkX ट्रेडिंग एप एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है जो आपको तेज़ ऑर्डर प्लेसमेंट, पर्सनलाइज्ड अलर्ट्स, और कस्टमाइज़ेबल डैशबोर्ड जैसी सुविधाएं देता है। इसमें कोई छिपे हुए चार्ज नहीं हैं और आप अपनी गति से सीख सकते हैं।

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ऑप्शंस ट्रेडिंग से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ऑप्शंस ट्रेडिंग से होने वाले लाभ को आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाता है और उस पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। अगर आप नियमित व्यापारी हैं, तो इसे व्यावसायिक इनकम माना जा सकता है।

हां, ऑप्शंस से होने वाले लाभ को आमतौर पर इनकम के रूप में ही माना जाता है और उस पर टैक्स लगता है। लेकिन इसकी प्रकृति (शॉर्ट- टर्म या लॉन्ग-टर्म ) पर निर्भर करता है कि किस तरह से टैक्स लगेगा।

हां, अगर आप ऑप्शंस ट्रेडिंग कर रहे हैं तो आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में इससे होने वाली इनकम या नुकसान को घोषित करना चाहिए, चाहे आपका कुल टर्नओवर कितना भी हो।

हां, अगर आप बहुत अधिक ट्रेड करते हैं तो आपकी गतिविधि को व्यावसायिक माना जा सकता है। इस स्थिति में आप कुछ व्यावसायिक खर्चों को कटौती के रूप में दिखा सकते हैं, लेकिन आपको ऑडिट की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

अगर आपके पास जटिल ट्रेडिंग पैटर्न है या आप बड़ी मात्रा में ट्रेड कर रहे हैं, तो एक अनुभवी कर सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट की सहायता लेना एक अच्छा विचार हो सकता है। वे आपको सही तरीके से कर नियोजन और अनुपालन में मदद कर सकते हैं।