फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) लॉस को इनकम टैक्स रिटर्न में कैसे दिखाएं?

फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) लॉस को इनकम टैक्स रिटर्न में कैसे दिखाएं?

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आज के आधुनिक निवेश जगत में, फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां मुनाफे की संभावनाएं उतनी ही हैं जितनी नुकसान की। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपको F&O ट्रेडिंग में नुकसान होता है, तो उसे अपने इनकम टैक्स रिटर्न में कैसे दिखाना चाहिए? यह जानकारी न केवल कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। इस ब्लॉग में, हम समझाएंगे कि F&O लॉस को इनकम टैक्स रिटर्न में कैसे दिखाया जाए, ताकि आप अपने टैक्स को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकें।
 

फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग क्या है?

फ्यूचर्स और ऑप्शंस, जिसे आमतौर पर F&O कहा जाता है, एक प्रकार का एडवांस्ड फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है। 

इसे समझने के लिए, इसे दो भागों में बांटते हैं:

फ्यूचर्स ट्रेडिंग

 यह एक अनुबंध है जहां आप भविष्य में किसी निश्चित तारीख पर एक निश्चित कीमत पर कोई वस्तु या शेयर खरीदने या बेचने का वादा करते हैं। यह एक तरह का वायदा सौदा है।

ऑप्शंस ट्रेडिंग

यहां आपको अधिकार मिलता है, लेकिन बाध्यता नहीं होती। आप एक निश्चित समय के भीतर एक तय कीमत पर कोई वस्तु या शेयर खरीदने या बेचने का विकल्प खरीदते हैं। इस अधिकार के लिए आप एक छोटी राशि (प्रीमियम) का भुगतान करते हैं।
 

सामग्री की तालिका

  1. फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग क्या है?
  2. F&O ट्रेडिंग में नुकसान दिखाने के फायदे 
  3. F&O प्रॉफिट या लॉस पर टैक्स कैसे लगता है?
  4. F&O लॉस को ITR में कैसे दिखाएं?
  5. F&O इनकम रिपोर्ट करने के लिए कौन सा ITR फॉर्म भरना चाहिए?
  6. F&O टर्नओवर की गणना कैसे की जाती है?
  7. F&O ट्रेडिंग टैक्स ऑडिट के लिए कौन योग्य है?

F&O ट्रेडिंग में नुकसान दिखाने के फायदे 

F&O ट्रेडिंग में नुकसान दिखाने के फायदे कई सारे फायदे शामिल है, जैसे की:

टैक्स में राहत

अगर आपको F&O ट्रेडिंग में नुकसान हुआ है, तो उसे दिखा कर आप अपने कुल टैक्स बिल को कम कर सकते हैं। ध्यान रखें, यह राहत सैलरी को छोड़कर अन्य आय पर लागू होती है।

भविष्य की योजना

अगर किसी साल में आपका पूरा F&O लॉस सेट ऑफ नहीं हो पाता, तो आप इसे अगले 8 सालों तक आगे ले जा सकते हैं। यानी, अगर भविष्य में आपको F&O से फायदा होता है, तो आप पुराने नुकसान को उसमें से काट सकते हैं।

कानूनी अनुपालन

 अपने F&O लॉस को सही तरीके से दिखाना यह दर्शाता है कि आप टैक्स कानूनों का पालन करते हैं। इससे आप जुर्माने या कानूनी समस्याओं से बच सकते हैं। अगर आप अपने F&O लेनदेन को सही तरीके से दिखाते हैं, तो टैक्स ऑडिट की संभावना कम हो जाती है।

रिकॉर्ड रखना

 अपने F&O लॉस को दिखाने से आपके पास अपने वित्तीय लेनदेन का एक पूरा रिकॉर्ड रहता है। यह जानकारी भविष्य में लोन लेने या निवेश करने में मददगार हो सकती है।

संतुलन बनाना

अगर एक ही वित्तीय वर्ष में आपको F&O से फायदा और नुकसान दोनों हुए हैं, तो नुकसान दिखा कर आप फायदे पर कम टैक्स दे सकते हैं।
 

F&O प्रॉफिट या लॉस पर टैक्स कैसे लगता है?

आइये अब समझते है की F&O प्रॉफिट या लॉस पर टैक्स कैसे लगता है:

  1. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 43(5) के अनुसार, F&O ट्रेडिंग को नॉन-स्पेक्युलेटिवे ट्रांसेक्शन माना जाता है। इसका मतलब है कि F&O ट्रेडिंग से होने वाली आय को बिजनेस इनकम की तरह ही माना जाता है।
  2. अगर आपकी सालाना इनकम या टर्नओवर पिछले तीन सालों में से किसी एक में 2,50,000 रुपये से ज्यादा है, तो आपको अपने हिसाब-किताब का पूरा रिकॉर्ड रखना होगा।
  3. धारा 44AB के तहत,अगर आपका टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है या फिर आपका दिखाया गया प्रॉफिट 8% से कम है, तो आपको टैक्स ऑडिट करवाना होगा।

ध्यान रखें, अगर आप सही तरीके से हिसाब-किताब नहीं रखते हैं तो आप पर जुर्माना लग सकता है। अगर आप ठीक से हिसाब नहीं रखते, तो आप पर 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है। अगर आपका कारोबार बड़ा है और आपने अपने खातों की जांच (ऑडिट) नहीं करवाई, तो जुर्माना और भी ज्यादा हो सकता है। यह जुर्माना लगभग 1.5 लाख रुपये या आपके कुल कारोबार का 0.5% (जो भी ज्यादा हो) तक हो सकता है।
 

F&O लॉस को ITR में कैसे दिखाएं?

F&O लॉस को सैलरी को छोड़कर अन्य सभी आय स्रोतों से ऑफसेट किया जा सकता है।

उदाहरण: मान लीजिए आपको किराये से हर महीने 2,000 रुपये (सालाना 24,000 रुपये) मिलते हैं और उसी साल आपको F&O में 4,000 रुपये का नुकसान हुआ। तो आप इस नुकसान को अपनी किराये की आय से काट सकते हैं। इस तरह आपकी टैक्सेबल किराये की आय 20,000 रुपये हो जाएगी।

अगर आप चालू टैक्स साल में इस नुकसान को पूरी तरह से ऑफसेट नहीं कर पाते, तो आप इसे अगले 8 सालों तक आगे ले जा सकते हैं।
 

F&O इनकम रिपोर्ट करने के लिए कौन सा ITR फॉर्म भरना चाहिए?

F&O ट्रेडिंग करने वाले व्यक्तियों को आमतौर पर ITR-3 या ITR-4 फॉर्म भरना होता है। यह आपकी आय के स्रोत, आवासीय स्थिति और लेनदेन की प्रकृति पर निर्भर करता है।
 

F&O टर्नओवर की गणना कैसे की जाती है?

F&O टर्नओवर की गणना करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पता चलता है कि आपको टैक्स ऑडिट की जरूरत है या नहीं। F&O ट्रेडिंग के लिए टर्नओवर की गणना Absolute Profit के आधार पर की जाती है। यह गणना हमें आपकी व्यापारिक गतिविधि की स्पष्ट तस्वीर देती है ।

Absolute Profit = विभिन्न लेनदेन से हुए लाभ और हानि का योग
 

F&O ट्रेडिंग टैक्स ऑडिट के लिए कौन योग्य है?

यह समझना कि आप F&O ट्रेडिंग टैक्स ऑडिट के लिए योग्य हैं या नहीं, विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है।

ट्रेडिंग टर्नओवर 2 करोड़ रुपये तक

अगर आपका प्रॉफिट 6% या उससे ज्यादा है और आपने प्रिजम्पटिव टैक्सेशन चुना है, तो टैक्स ऑडिट की जरूरत नहीं है। अगर आपको नुकसान हुआ है या प्रॉफिट 6% से कम है, और आपकी आय छूट सीमा से ज्यादा है, तो टैक्स ऑडिट जरूरी है।

ट्रेडिंग टर्नओवर 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपये के बीच

अगर आपको नुकसान हुआ है या प्रॉफिट 6% से कम है, तो टैक्स ऑडिट जरूरी है।अगर प्रॉफिट 6% या उससे ज्यादा है और आपने प्रिजम्पटिव टैक्स नहीं चुना है, तो टैक्स ऑडिट जरूरी है। अगर प्रॉफिट 6% या उससे ज्यादा है और आपने प्रिजम्पटिव टैक्स चुना है, तो टैक्स ऑडिट की जरूरत नहीं है।

अगर ट्रेडिंग टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है, तो हर मामले में टैक्स ऑडिट अनिवार्य है।

F&O इनकम से खर्चे काटे यह जा सकते हैं:

  • ब्रोकरेज फीस
  • ट्रांजैक्शन चार्जेस
  • अन्य संबंधित खर्चे

याद रखें, और कटौती के लिए अपने दावों के समर्थन में उचित दस्तावेज बनाए रखना आवश्यक है।
 

समाप्ति 

F&O ट्रेडिंग एक जटिल लेकिन आकर्षक निवेश विकल्प है। इसमें होने वाले नुकसान को इनकम टैक्स रिटर्न में सही तरीके से दिखाना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल आप कानूनी रूप से सुरक्षित रहते हैं, बल्कि अपने टैक्स का बेहतर प्रबंधन भी कर सकते हैं। याद रखें, हर व्यक्ति की वित्तीय स्थिति अलग होती है, इसलिए किसी टैक्स प्रोफेशनल या वित्तीय सलाहकार से व्यक्तिगत मार्गदर्शन लेना हमेशा फायदेमंद होता है।

अगर आप F&O ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं या अपनी मौजूदा ट्रेडिंग को और बेहतर बनाना चाहते हैं, तो आप BlinkX ट्रेडिंग ऐप को डाउनलोड करने पर विचार कर सकते हैं। BlinkX ट्रेडिंग ऐप एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है जिसके माध्यम से आप कुछ ही मिनटों में डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। यह ऐप आपको बाज़ार की गतिविधियों से अपडेट रखने में मदद करता है और तेज़ ऑर्डर प्लेसमेंट की सुविधा देता है। BlinkX ट्रेडिंग ऐप में कोई छिपे हुए चार्ज नहीं हैं और यह आपको अपने निवेश लक्ष्यों की ओर बढ़ने में सहायता करता है। याद रखें कि F&O ट्रेडिंग में जोखिम भी शामिल है। इसलिए, हमेशा सावधानी से निवेश करें और अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप ही फैसले लें। सही जानकारी, सही टूल्स और सही मार्गदर्शन के साथ, आप अपने निवेश को सफलतापूर्वक मैनेज कर सकते हैं और अपने वित्तीय भविष्य को मजबूत बना सकते हैं।

F&O ट्रेडिंग से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

F&O लॉस दिखाने के लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट स्टेटमेंट, प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट, जैसे दस्तावेज तैयार रखने चाहिए

हां, F&O लॉस को सैलरी इनकम को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की आय के खिलाफ सेट ऑफ किया जा सकता है। इसमें बिजनेस इनकम, प्रॉपर्टी से होने वाली आय, या अन्य कैपिटल गेन्स शामिल हैं।

F&O लॉस को सेट ऑफ करने की कोई विशेष सीमा नहीं है। आप अपने पूरे F&O लॉस को अन्य योग्य इनकम स्रोतों के खिलाफ सेट ऑफ कर सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि यह सेट ऑफ सैलरी इनकम पर लागू नहीं होता।

हां, F&O लॉस को FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) से मिलने वाले ब्याज के खिलाफ सेट ऑफ किया जा सकता है लेकिन यह कुछ शर्तों और सीमाओं के अधीन है।

हां, ITR में F&O लॉस दिखाना अनिवार्य है। यह न केवल कानूनी रूप से आवश्यक है, बल्कि आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे आप भविष्य में होने वाले लाभ के खिलाफ इस नुकसान को सेट ऑफ कर सकते हैं और अपने कर दायित्व को कम कर सकते हैं।

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