ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?

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ऑप्शन ट्रेडिंग एक प्रकार का निवेश और ट्रेडिंग है जिसमें निवेशक या ट्रेडर को किसी शेयर या वस्तु को एक निश्चित मूल्य और समय पर खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त होता है। इसके लिए उन्हें एक प्रीमियम राशि का भुगतान करना होता है। यदि बाजार उनके पक्ष में नहीं है, तो वे अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते और केवल प्रीमियम राशि ही खो देंगे। लेकिन अगर बाजार उनके अनुकूल है तो वे बहुत ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? 

ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको कुछ चीजों पर ध्यान देना होगा:

ट्रेडिंग अकाउंट खोलना

सबसे पहले आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। ब्रोकर आपसे कुछ जानकारी लेंगे जैसे:

  • आपके निवेश के उद्देश्य
  • आपका निवेश का अनुभव
  • आपकी वित्तीय स्थिति

ऑप्शन का प्रकार चुनना

ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं:

  • कॉल ऑप्शनइसमें आप शेयर खरीदने का अधिकार प्राप्त करते हैं
  • पुट ऑप्शनइसमें आप शेयर बेचने का अधिकार प्राप्त करते हैं

आपको यह तय करना होगा कि आप बाजार में शेयर के मूल्य को कहां देखना चाहते हैं और उसके आधार पर ऑप्शन का प्रकार चुनना होगा।

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सामग्री की तालिका

  1. ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? 
  2. स्ट्राइक प्राइस निर्धारित करना
  3. ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे
  4. ऑप्शन ट्रेडिंग के नुकसान
  5. ऑप्शन ट्रेडिंग के स्तर

स्ट्राइक प्राइस निर्धारित करना

स्ट्राइक प्राइस वह मूल्य है जिस पर आप शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त करते हैं। आपको अपने अनुमान के आधार पर एक उचित स्ट्राइक प्राइस चुननी होगी। यदि आप सोचते हैं कि शेयर का मूल्य बढ़ेगा तो आपको कम स्ट्राइक प्राइस वाला कॉल ऑप्शन लेना चाहिए।

एक्सपायरी डेट चुनना

हर ऑप्शन की एक एक्सपायरी डेट होती है जिस दिन तक आपको अपना अधिकार इस्तेमाल करना होता है। आप चाहें तो छोटी अवधि के लिए ऑप्शन ले सकते हैं या लंबी अवधि के लिए भी। लंबी अवधि के ऑप्शन ज्यादा महंगे होते हैं लेकिन बाजार के लिए अधिक समय देते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे

ऑप्शन ट्रेडिंग के सारे फायदे हैं। इसमें शामिल है निम्नलिखित फायदे:

  • उच्च रिटर्न की संभावना

    ऑप्शन ट्रेडिंग में कम निवेश से भी बहुत ज्यादा मुनाफा कमाने की क्षमता होती है। यदि आप सही अनुमान लगाते हैं तो आपको कई गुना रिटर्न मिल सकता है। यही वजह है कि इसे हाई रिस्क-हाई रिटर्न का विकल्प माना जाता है।
  • विभिन्न रणनीतियों का विकल्प

    ऑप्शन ट्रेडिंग में कई तरह की रणनीतियां अपनाई जा सकती हैं जैसे स्प्रेड, स्ट्रैंगल, स्ट्रैडल आदि। इन रणनीतियों से बाजार की अलग-अलग स्थितियों में निवेश किया जा सकता है। 
  • कम लागत

    शेयरों की खरीद के मुकाबले ऑप्शन की खरीद काफी सस्ती होती है। आपको केवल प्रीमियम राशि का भुगतान करना होता है जो शेयर की कीमत से काफी कम होती है।
  • कम जोखिम

    हालांकि ऑप्शन ट्रेडिंग जोखिमपूर्ण होती है, लेकिन यदि आप सही रणनीति अपनाते हैं तो आपके नुकसान की सीमा सिर्फ प्रीमियम राशि तक ही होगी। इससे आप अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग के नुकसान

  • उच्च कमीशन शुल्क - ऑप्शन ट्रेडिंग पर कमीशन शुल्क काफी ज्यादा होता है क्योंकि इसमें ज्यादा जटिलता होती है।
  • कम तरलता - कई बार ऑप्शन की ट्रेडिंग में कम तरलता होती है, इसलिए बड़ी पोजिशन लेना मुश्किल हो सकता है। 
  • सभी शेयरों पर ऑप्शन उपलब्ध नहीं - कुछ कम पॉपुलर शेयरों पर ऑप्शन ट्रेडिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है।
  • समय के साथ मूल्य क्षय - जैसे-जैसे ऑप्शन की एक्सपायरी डेट नजदीक आती है, उसका मूल्य कम होता जाता है। यही वजह है कि लंबी अवधि के ऑप्शन महंगे होते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग के स्तर

ऑप्शन ट्रेडिंग के चार मुख्य स्तर होते हैं:

  • स्तर 1 - प्रोटेक्टिव पुट और कवर्ड कॉल

    यह स्तर उन लोगों के लिए है जिनके पास पहले से ही शेयर हैं। प्रोटेक्टिव पुट में वे शेयरों की सुरक्षा के लिए पुट ऑप्शन खरीदते हैं। कवर्ड कॉल में वे अपने शेयरों पर कॉल ऑप्शन बेचते हैं।
  • स्तर 2 - लंबे पुट और कॉल

    इस स्तर में लोग लंबी अवधि के पुट और कॉल ऑप्शन खरीदते हैं। इसमें स्ट्रैंगल और स्ट्रैडल जैसी रणनीतियां शामिल होती हैं।
  • स्तर 3 - स्प्रेड पोजिशन

    यहां लोग एक ही शेयर के कुछ ऑप्शन खरीदते हैं और कुछ बेचते हैं। इससे उनका जोखिम और लागत दोनों कम हो जाते हैं।
  • स्तर 4 - नेकेड ऑप्शन

    यह सबसे जोखिमपूर्ण स्तर है जिसमें लोग बिना शेयर खरीदे ही ऑप्शन बेचते हैं। यदि बाजार उनके विपरीत चला तो उनका नुकसान असीमित हो सकता है।

इस तरह से आप देख सकते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत फायदेमंद हो सकती है लेकिन साथ ही जोखिम भी काफी है। इसलिए नए लोगों को शुरुआत में सावधानी बरतनी चाहिए।

समाप्ति

ऑप्शन ट्रेडिंग एक जटिल गतिविधि है लेकिन यदि आप इसे सीखते हैं तो इससे आपको बहुत फायदा हो सकता है। आपको अपनी जोखिम क्षमता समझनी होगी और उसके अनुसार ही निवेश करना चाहिए। यदि आप अभी शुरुआत कर रहे हैं तो सरल रणनीतियों से शुरू करें और धीरे-धीरे आगे बढ़ें। 

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ऑप्शन ट्रेडिंग से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा और फिर ऑप्शन का प्रकार, मूल्य और समय चुनना होगा।

कॉल ऑप्शन में आप शेयर खरीदने का अधिकार पाते हैं, जबकि पुट ऑप्शन में आप शेयर बेचने का अधिकार पाते हैं।

स्ट्राइक प्राइस वह मूल्य है जिस पर आप शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार पाते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग से आपको ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है और आप अपना जोखिम कम कर सकते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग के 4 मुख्य स्तर होते हैं - प्रोटेक्टिव पुट और कवर्ड कॉल, लंबे पुट और कॉल, स्प्रेड पोजिशन और नेकेड ऑप्शन।